छत्तीसगढ़

मात्स्यिकी महाविद्यालय में राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड हैदराबाद द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

मात्स्यिकी महाविद्यालय में राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड हैदराबाद द्वारा प्रायोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

कवर्धा, 04 दिसम्बर 2021। दाऊ श्री वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग के अंतर्गत संचालित प्रदेश का एक मात्र मात्स्यिकी महाविद्यालय में प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित ‘‘मूल्यवर्धित मछली उत्पादों पर प्रशिक्षण सह प्रतिपादन‘‘ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 1 दिसम्बर को कुलपति डॉ. नारायण पुरूषोत्तम दक्षिणकर, दाऊ श्री वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा, दुर्ग के मार्गदर्शन में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. आर. पी. तिवारी, निदेशक विस्तार, दाऊ श्री वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा के मुख्य अतिथि, एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. बी. तिवारी,  अधिष्ठाता, संत कबीर कृषि महाविद्यालय एवं डॉ. जी. के. दत्ता, अधिष्ठाता, मात्स्यिकी महाविद्यालय की उपस्थिति में हुआ। डॉ. जी. के. दत्ता, ने सभी अतिथियों एवं प्रशिक्षणार्थियों का तीन दिवसीय कार्यक्रम में स्वागत किया। कार्यक्रम में ग्राम बीजई, बोड़तरा खुर्द एवं रायपुर के 53 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
डॉ. आर. पी. तिवारी, निदेशक विस्तार, दाऊ श्री वासुदेव चन्द्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा ने बताया कि छत्तीसगढ़ में मछली पालन बहुत तेजी के साथ बढ़ रहा है जिसको देखते हुए छत्तीसगढ़ में मत्स्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है। डॉ. आर. बी. तिवारी ने प्रशिक्षणार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें प्रशिक्षण से होने वाले लाभ से अवगत कराया एवं इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को भविष्य में आयोजित कराने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. जी. के. दत्ता, अधिष्ठाता, मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा ने मूल्यवर्धित उत्पाद के बारे में प्रशिक्षणार्थियों बताते हुए कहा कि मछली का मूल्यवर्धन से रोजगार के नये आयाम के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने का सुनहरा अवसर है। डॉ. जितेन्द्र कुमार जाखड़, सहायक प्राध्यापक एवं कार्यक्रम समन्वयक द्वारा इन तीन दिवसीय प्रशिक्षण की रूपरेखा को संक्षिप्त में बताया जिसके संचालन का कार्य मत्स्य प्रसंस्करण एवं दोहन विभाग में किया जाएगा। डॉ. जितेन्द्र कुमार जाखड़ ने बताया कि मूल्यवर्धित उत्पाद, मछली से बने आचार उनके समूचित रख-रखाव, उनके बनाने के तरीकों एवं उपयोगी विभिन्न प्रकार मछलियों की प्रजातियों के बारे में किसानों को अवगत कराया तथा उनसे होने वाले लाभ के अवसर के बारे में बताया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षणार्थियों को महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्रयोगशालाओं का भ्रमण कराया गया। इसके पश्चात महाविद्यालय के अंतर्गत संचालित खैरबना कला हैचरी का भ्रमण कराया गया जहां उन्हें मछलियों के रख-रखाव, मछली पकड़ने के तरीके विभिन्न उपकरणों मत्स्य बीजों का प्रबंधन एवं स्थानांतरण के बारे में अवगत कराया गया। साथ ही सरोधा जलाशय में केज कल्चर के बारे में विस्तार से अवगत कराया गया। इस कार्यक्रम के संपादन में सह-समन्वयक एवं सहायक प्राध्यापक डॉ. निरंजन सारंग, श्री पबीत्र बारिक, श्री दुष्यंत कुमार दामले, डॉ. बी. नाइटिंगल देवी एवं डॉ. के. पाण्डा तथा सभी अंशकालीन शिक्षक, महाविद्यालय के कर्मचारी एवं चतुर्थ वर्ष के विद्यार्थियों का महत्वपूर्ण सहभागिता रही। अंत में डॉ. जितेन्द्र कुमार जाखड, संयोजक एवं सहायक प्राध्यापक मात्स्यिकी महाविद्यालय, कवर्धा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए, इस कार्यक्रम में आए हुए समस्त प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं दी।

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