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लद्दाख विवाद के दौरान नौसेना भी थी सतर्क, चीन को सबक सिखाने भेज दिए थे जंगी जहाज Navy was also alert during the Ladakh dispute, war ships were sent to teach a lesson to China

नई दिल्‍ली. भारत और चीन (India China Dispute) के बीच पूर्वी लद्दाख (Ladakh) में तनाव को शुरू हुए 18 महीने से ज्‍यादा हो गया है. काफी हद तक तनाव तो कम हुआ है लेकिन वास्‍तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्‍य तैनाती में कोई कमी नहीं. भारतीय सेना (Indian Army) के तीनों अंगों ने कम समय में किसी भी युद्ध जैसी स्थिति के लिए अपने को तैयार कर लिया है. भारतीय थल सेना ने लद्दाख की जमीन में 50 हजार से ज्‍यादा सैनिकों, भारतीय भरकम टैंक, तोपों, बख्तरबंद गाड़ियां, मिसाइल सिस्टम तैनात किए. इसके साथ ही भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) ने आसमान में अपनी ताकत दिखाने के लिए अपने सभी एयरबेस को हाई अलर्ट पर रख दिया. वहीं नौसेना (Indian Navy) ने भी चीन से विवाद को देखते हुए समुद्र में अपने जंगी जहाजों को चीनी नौसेना का सामना करने के लिए हाई अलर्ट पर रख दिया था. नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर हरि कुमार ने इस बात का खुलासा किया है.एक सवाल के जवाब में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल हरि कुमार ने साफ कहा है कि जब हमारे उत्‍तरी बॉर्डर में विवाद हुआ तो तब हिंद महासागर इलाके के अलावा मिशन डेप्लायमेंट के तहत रीजन में जितने भी जंगी जहाज थे, उनका फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट किया गया था. साथ ही बाकी समुद्री जहाज भी पूरी तरह तैयार थे कि अगर हालात बिगड़ते हैं तो हर स्थिति से निपटा जा सके. नौसेना प्रमुख ने ये भी कहा कि चीन के हर एक जहाज पर कड़ी निगरानी रखी जा रही थी. यह आज भी जारी है.एडमिरल हरि कुमार के मुताबिक कोरोना महामारी और उत्तरी सीमा पर स्थिति ने सुरक्षा जटिलताओं को और बढ़ा दिया था. सेना नौसेना किसी भी हालात से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार थे और अभी भी हैं. नौसेना प्रमुख ने चीनी नौसेना के शिप और पनडुब्बियों के भारतीय समुद्री इलाके में मूवमेंट के सवाल पर कहा कि चीन की हिंद महासागर रीजन में मौजूदगी 2008 से ही है. कभी उनके 7 से 8 शिप होते हैं तो कभी तीन. हम उनकी तैनाती पर पूरी नजर रखते हैं और खास बात तो ये है कि विमानों के जरिए सर्विलांस करते रहते हैं और ये पता रखते हैं कि आखिर वो कर क्या रहे हैं.नौसेना प्रमुख ने कहा है, ‘हम उसी की तर्ज़ पर अपनी रणनीति भी तैयार करते हैं. चीन पिछले कुछ सालों में अपनी नौसेना को दुनिया की सबसे ताकतवर नौसेना बनाने के काम में जुटा है, ऐसे में वो लगातार अपने जंगी जहाजों की संख्या को बढ़ाने में लगा है. एडमिरल आर कुमार ने कहा कि हम चीन नौसना के डेवलपमेंट से भलीभांति वाकिफ हैं. पिछले दस साल में चीन ने 130 से ज़्यादा जहाज तैयार किए हैं. इसका मतलब है कि हर साल 13 से 14 शिप बनाए हैं. हर देश अपनी योजनाएं बनाता है, हम भी सभी गतिविधियों को ध्यान में रखकर नीति बनाते हैं. भारतीय नौसेना ने भी अपनी ताकत में इजाफा किया है.नौसेना प्रमुख ने कहा, ‘प्रधानमंत्री के सागर मिशन के तहत 22 देशों के साथ द्विपक्षीय और त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास किया गया है. आत्मनिर्भर भारत के तहत पिछले 7 सालों में 28 शिप और सबमरीन नौसेना में शामिल किए गए. वहीं 39 शिप और सबमरीन के निर्माण का काम जारी है. जिसमें 37 भारत में ही बनाए जा रहे हैं. भारतीय नौसेना का पहला स्वदेशी विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत भी अपने दो समुद्री परीक्षण को अंजाम दे चुका है.’उनका कहना है कि नौसेना ने भी विमानों की संख्‍या बढ़ाई है. नेवल एविएशन में 9 एडवांस लाइट हैलिकॉप्टर, 2 चीता हैलिकॉप्टर और 2 डॉर्नियर शामिल किए गए हैं. हालात चाहे जैसे भी हो भारतीय नौसेना किसी भी हालत से निपटने को पूरी तरह से तैयार है.

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