छत्तीसगढ़

मितानिन दिवस पर सभी मितानिन बहनों को समर्पित मेरा लेख My article dedicated to all Mitanin sisters on Mitanin Day

*मितानिन दिवस पर सभी मितानिन बहनों को समर्पित मेरा लेख*
प्रदेश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रो तक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने व स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता में महत्वपूर्ण योगदान निभाने वाली होती है मितानिन बहने , मितानिन को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की रीढ़ की संज्ञा दी गई है। ये गांव-गांव के पारा टोला में रहकर लोगों को मलेरिया, दस्त, निमोनिया, बीमार नवजात, टीवी, कुष्ठ, पीलिया, कुपोषण, कृमि, गर्भवती, शिशुवती, ऊपरी आहार के घर परिवार भ्रमण, गर्भवती पंजीयन, प्रसव पूर्व चार जांच, संस्थागत प्रसव, महिलाओं की खास समस्याएं, गर्भावस्था में देखभाल, प्रसव के बाद माता के देखभाल करती है। साथ ही सुरक्षित गर्भपात, महिला हिंसा रोकने, पोषण व खाद्य सुरक्षा, बच्चों का विकास, महिलाओं के अधिकार, स्तन कैंसर के लक्षण की जानकारी, पारा बैठक कर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना सहित अन्य कार्यों को भी निस्वार्थ भाव से करती है।
मितानिन बहने लगभग 2 दसको से लगातार अपनी सेवा समर्पण भाव से नाममात्र के मानदेय से करती आ रही है , एक हिसाब से देखा जाए तो वे स्वास्थ्य विभाग के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता है जो बिना किसी विशेष भत्ते या लाभ के लोगो की सेवा करते है और इनका पकड़ हर गाँव के हर मोहल्ले के प्रत्येक घरों तक है।
आज 23 नवम्बर को पूरा प्रदेश इन मितानिन बहनों के सेवा को सम्मान देने तथा उनके समर्पण को सलाम करने का दिन है , किन्तु इतना सब करने के बाद भी हमारी मितानिन बहनों को आज सम्मान के नाम पर शासन प्रशासन से मिलता है तो सिर्फ ठेंगा।
आज हमारे छत्तीसगढ़ में लाखो की संख्या में मितानिन बहने कार्यरत है किन्तु न ही उनका कोई विशेष परिचय पत्र बना है और न ही किसी तरीके का पहचान पत्र जिससे मितानिन बहनों को खासी समस्याओं से गुजरना पड़ता है किसी विभाग में जनहितैसी कार्यो के लिए जाने पर भी उन्हें अपना पहचान को बताने के लिए कोई भी साधन नहीं होता है।
हमारे समाज मे डॉक्टरों व नर्सों को भगवान के स्वरूप माना जाता है क्योंकि उनके द्वारा ही मरीजो का उपचार कर उनको पुनर्जीवन प्रदान किया जाता है , तो मेरा मानना है कि हमे डॉक्टर तक पहुचाने वाली हमारी मितानिन बहने किसी देवदूत से कम नहीं है।
मैंने ज्यादातर सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टरों व उनके सरकारी कर्मचारियों को हमेशा अपने सभ्यता का परिचय देते हुए सद्भाव पूर्ण व्यवहार करते देखा है किंतु कुछ जगह पर यह भी देखा है कि कुछ सरकारी कर्मचारी या डॉक्टर मितानिनों से दुर्व्यहार करते है तथा उन्हें धुत्कारते भी देखा है ऐसे असभ्य सरकारी कर्मचारियों से मेरा कहना है कि मैदानी स्तर में काम करके हितग्राहियों को समझा बुझाकर हमारी मितानिन बहने ही होती है जो आप लोगो तक लेकर आती है वरना इनके बगैर 20 साल पहले की स्थिति देख सकते है कि कितना प्रतिशत संस्थागत प्रसव होता था और कितने प्रतिशत नशबंदी व अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का हल निकालने लोग सरकारी हॉस्पिटल में आते थे , उनको सोचना चाहिए कि मितानिन बहने सेवा करती है उनके तरह कोई लाभ के पद में बैठे सरकारी कर्मचारी नहीं होते जिन्हें हर महीना मोटा वेतन मिलता है।
कोविड के समय कोरोना संक्रमण व्यक्ति का पहचान करना हो उन्हें उचित अस्पताल पहुँचाना हो या कोविड से सम्बंधित जन जागरूकता हो सभी मे इनकी भागीदारी सराहनीय रहा ग्रामीण इलाकों में तो मैंने यहाँ तक देखा कि ग्राम पंचायतों में जो अस्थाई कोविड सेंटर बनाया गया था जिसमे बाहर से आये व्यक्तियों को या कोविड पॉजिटिव व्यक्तियों को रखा जाता था वहाँ पर ये लोग बिना अपनी जान या परिवार के चिंता किये अपनी सेवाएं देते थे।
कुछ दिन पूर्व ही हमारा देश 100 करोड़ कोविड टीकाकरण के लक्ष्य को पूरा कर पूरे विश्व मे अपना एक अलग ही स्थान बनाया ये इन्ही मितानिन बहनों व आशा बहनों के कारण ही सम्भव हो पाया यह कहना गलत नहीं होगा।
शासन प्रशासन से मैं मितानिन बहनों के तरफ से उनकी जो मुख्य माँग है जिसके लिए वे लगातार संघर्षरत है उन मांगों को पूरा करने का प्रार्थना करता हूँ जिसमे वेतन से संबंधित मांगे भी शामिल है तथा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से निवेदन करना चाहता हूँ कि वे सिर्फ एक दिन मितानिन बहनों का सम्मान न करे सदैव उनके प्रति सम्मान का भाव रखे व मितानिन बहनों को एक पहचान पत्र तथा सम्भव हो तो एक ड्रेस दिया जाए जिससे उनको अपना परिचय बताने की जरूरत न पड़े और जो भी स्वास्थ्य विभाग के सरकारी योजनाएं है उनका सही तरीके का लिखित गाइडलाइन पाम्पलेट या बुक के माध्यम से उन्हें प्रदान करे जिससे कि वे हितग्राहियों को सही जानकारी प्रदान कर सके जानकारी के अभाव में भी कुछ चीजें अर्थ का अनर्थ हो जाता है।
लास्ट में मैं सभी मितानिन बहनों से कहना चाहूँगा की आप सभी के अथक परिश्रम व सेवा भाव के कारण आज हमारा देश स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं से निजात पा रहा है तथा लोगो मे जागरूकता आ रहा है इसलिए आपके इस निष्ठा को मैं प्रणाम करता हूँ।

*सूरज टंडन*
पूर्व उपसरपंच ग्राम पंचायत दोंदेखुर्द

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