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*सरकारी स्कूलों में लापरवाही का आलम, पढाई के बजाए बच्चे सोशल मीडिया पर बना रहे ऑनलाइन वीडियो, वाहनों से आवागमन भी खतरनाक*

*(स्कूल के क्लासों में कोई सीखा रहा प्यार की परिभाषा, तो कोई दिखा हीरोगिरी, शिक्षा व्यवस्था हुई चौपट)*

बेमेतरा:-* ज़िलेभर के अधिकांश शासकीय विद्यालयों में शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। जिसमे विद्यालय प्रबधन एवं स्टॉफ की लापरवाही व मेहरबानी के चलते स्कूल के बच्चे अपने क्लासों में खुलेआम मोबाईल व दोपहिया वाहन लेकर पहुंच रहे है। जिसमे बात यही तक नही रुक रही है, बकायदा इस दौरान स्कूल में पढाई करने के बजाए ऑनलाइन या सोशल मीडिया पर रहकर समय बीता रहे है। जिसमे कुछ बच्चे तो ऑनलाइन गेम खेलते, वीडियो बनाकर अपलोड करते हुए सोशल मीडिया पर रहकर हीरो बनकर स्कूल की फजीहत करा रहे है। जिसमे शिक्षा विभाग की व्यवस्था की भी पोल खुल रही है, वही स्कुली विद्यार्थियों का सुनहरा भविष्य भी बर्बाद हो रहा है। जिस पर जिला एवं विकासखण्ड स्तर के शिक्षा अधिकरियों को गम्भीरता से संज्ञान में लेने की जरूरत है।

 

*चंद माह के दो घटनाओं ने शिक्षा व्यवस्था की खोल दी पोल, वायरल होने के बाद हो रही स्कूल की फजीहत*

 

ताजा मामला ज़िला मुख्यालय से दस किलोमीटर दूर स्थित देवरबीजा के कुमारी देवी चौबे शासकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय से सामने आ रही है। जिसमे स्कूल के स्थानीय बच्चे क्लास में बैठकर पढाई करने के बजाए सोशल मीडिया पर प्यार का #पहला नशा, पहला खुमार,नया प्यार है नया इंतज़ार# सहित प्यार की परिभाषा सिखाते वीडियो अपलोड कर रहा है। जो कि सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर खूब वायरल हो रहा है। ज्ञात हो कि आज से कुछ महीने पूर्व ज़िले के ही नगर पंचायत देवकर स्थित नरसिंह प्रसाद अग्रवाल शासकीय हाई स्कूल से भी एक स्कुली छात्र का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था, जिसमे क्लास में कुछ बच्चे पंजाबी पॉप सिंगर के गाने में चलते हुए शिक्षक की कुर्सी के सहारे बेंच पर चढ़कर डण्डा दिखाते खुद को राजा को तरह पेश कर रहे थे। जिस पर स्थानीय स्तर पर काफी बवाल मचा था।लिहाजा शिक्षा के मंदिर की कार्यशैली एवं स्वरूप पर सवाल उठना लाजिमी हो गया है।

 

 

*अधिकांश स्कूलों के विद्यार्थी खुलेआम दोपहिया वाहन के साथ क्लास में चला रहे मोबाईल*

दरअसल शिक्षा विभाग के दिशानिर्देश के मुताबिक स्कूलों में किसी भी प्रकार से पढाई के सामानों के अलावा अन्य सामान रखने की मनाही है। जिसमें मोबाइल व दोपहिया वाहनों में सख्त प्रतिबंध के साथ हिदायत भी दी गयी है। जिसके बावजूद रोजाना कई स्कूलों में नाबालिग होने के बावजूद बच्चे बाइकों में विद्यालय तक अवागमन कर रहे है, जिसकी जानकारी पालकों के साथ स्कूल प्रबंधन को होने के बावजूद कोई कार्यवाही नही की जा रही है। वही इसी प्रकार बात स्कूल में मोबाईल लाने के आकड़ो पर गौर करे तो वर्तमान में अधिकांश बच्चे इसके शिकार हो गए है। जिस पर जिम्मेदार वर्ग को सोचने की।जरूरत है, क्योंकि शिक्षा विभाग की लचर व्यवस्था से एजुकेशन सिस्टम पर बुरा असर पड़ रहा है। जो कि काफी चिंता का विषय है।

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