*सरपंचों के अधिकारों का हनन, व्यय सीमा 50 लाख रुपए करना सिर्फ जुमलेबाजी- योगेश तिवारी*
*(पंचायत प्रतिनिधियों को केंद्र से प्राप्त फंड के व्यय पर राज्य शासन की बार-बार रोक पर किसान नेता ने उठाए सवाल)*
बेमेतरा:- प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पंचायती राज को मजबूत करने के दावे और वादे पर किसान नेता योगेश तिवारी ने सवाल खड़े करते हुए कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है। केंद्र से प्राप्त फंड के व्यय पर बार-बार
रोक लगा दी जा रही है। ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायतों में बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कार्य शुरू नहीं हो पा रहे हैं। इसके अलावा 20 लाख रुपए तक के सारे कार्य बेमतरा विधानसभा के जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार या उनके ठेकेदारों के द्वारा किए जा रहे हैं। पंचायतों में हो रहे विकास कार्यों में पंचायत प्रतिनिधियों की सहभागिता व भूमिका को समाप्त किया जा रहा है। निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों को दरकिनार कर कांग्रेस के कार्यकर्ता व ठेकेदारों को उपकृत किया जा रहा है।
*केंद्र से प्राप्त फंड को आवश्यकता अनुसार खर्च करने की दी जाए अनुमति*
योगेश तिवारी ने कहा कि सरपंचों को केंद्र सरकार से प्राप्त 15 वे वित्त का उपयोग मूलभूत व्यवस्था में खर्च की स्वतंत्रता समाप्त कर दी गयी है। उन्हें जिला पंचायत या जनपद पंचायत के माध्यम से राज्य सरकार की विफल योजनाओं में वित्त उपयोग लगाने का आदेश दिया जाता है। सरपंचों को लागत 20 लाख तक के कार्य करने के अधिकार को बढ़ाकर लागत 50 लाख करने की घोषणा की है। जबकि कांग्रेस सरकार के 3 साल के कार्यकाल में किसी भी सरपंच को 20 लाख रुपए तक के कार्य करने की स्वतंत्रता नहीं मिली।
विकास कार्यों की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतों को बनाया जाए, किसान नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा पंचायत प्रतिनिधियों से किए गए वादे क्रियान्वयन होना चाहिए। ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य संभव हो सके। विकास कार्यों की निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतों को बनाया जाए। केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि का उपयोग पंच और सरपंच गांव की आवश्यकता अनुसार कर सकें। इसकी अनुमति शासन की ओर से दी जाए। इस सरकार में पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों का खुलकर हनन किया गया है।