छत्तीसगढ़

पिता के हत्यारे पुत्र एवं उसके साथी को हुई आजीवन कारावास की सजा

पिता के हत्यारे पुत्र एवं उसके साथी को हुई आजीवन कारावास की सजा

सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीता यादव ने सुनाया सजा

कवर्धा, 17 नवम्बर 2021। सत्र न्यायाधीश श्रीमती नीता यादव ने थाना कुण्डा अंतर्गत अभियुक्त बलराम एवु झुरूवा उर्फ देवचरण को धारा 302 सहपठित 34 भारतीय दंड संहिता के अपराध के लिए (पिता के हत्यारे पुत्र एवं उसके साथी) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है और 500 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया है।
मामला संक्षेप में यह है कि मृतक गोरेलाल विवाह पश्चात् ससुराल बघर्रा में सास भागमती के यहां परिवार सहित रहता था। लगभग तीन वर्ष पूर्व गोरेलाल ने अपनी पत्नी को दूसरे पुरूष के साथ देखा था। गोरेलाल ने अपनी पत्नी को मना किया था, इस बात पर गोरेलाल की पत्नी ने गोरेलाल को अलग कर दिया था। गोरेलाल की पत्नी बच्चों सहित मायका में निवासरत् था। तत्पश्चात् गोरेलाल दूसरी पत्नी बनाकर लाने के लिए रिश्ता देखने गया था। सास भागमती ने मना किया था। इसी बात पर 10 नवंबर 2019 को गोरेलाल की सास कमार कश्यप के घर के सामने गली में मिली थी और गोरेलाल के साथ गाली-गलौच की थी। गोरेलाल ने मना किया तब डण्डा से मारी थी। इसके बाद गोरेलाल अपने घर जा रहा था, तब अभियुक्त पुत्र बलराम ने लोहे की राड से सिर पर और झुरूवा ने डण्डा से बाएं पैर, दोनों हाथ और पीठ पर मारा था, जिससे बायां पैर टूट गया था। 10 नवंबर 2019 को गोरेलाल द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराने पर आरोपीगण के विरूद्ध देहाती नालिसी दर्ज किया था। उपचार के दौरान रेडियंस अस्पताल कवर्धा में गोरेलाल की मृत्यु हो गई। मामले में थाना कुण्डा द्वारा अपराध क्रमांक 202/19 धारा 302 सहपठित 34 पंजीबद्ध कर विवेचना के दौरान आरोपी पुत्र बलराम, झुरूवा उर्फ देवचरण तथा सीता बाई को गिरफ्तार किया गया। तत्पश्चात् विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान कुल 11 साक्षियों के कथन दर्ज करने के उपरांत आज 17 नवंबर को श्रीमती नीता यादव, सत्र न्यायाधीश ने निर्णय घोषित करते हुए आहत, मृतक गोरेलाल द्वारा घटना के तुरंत बाद पुलिस को दिए बयान एवं रिपोर्ट को मृत्युकालिक कथन मानते हुए अभियुक्त सीता बाई को धारा 302/34 के आरोप से दोषमुक्त किया तथा अभियुक्त बलराम एवु झुरूवा उर्फ देवचरण को धारा 302 सहपठित 34 भारतीय दंड संहिता के अपराध के लिए आजीवन कारावास और 500/- (पांच सौ) रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया। अर्थदण्ड अदा न करने पर एक-एक माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगताये जाने का आदेश दिया गया।

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