भारत ने LAC पर की M777 की तैनाती तो चीन की क्यों उड़ गई नींद?India deployed M777 on LAC so why did China lose its sleep?
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भारतीय सेना ने वर्ष 2016 में अमेरिका से 145 होवित्जर तोपें खरीदने का फैसला किया था. यह सौदा करीब 75 करोड़ डॉलर यानी करीब 5500 करोड़ रुपये का था. अब तक भारतीय सेना को 89 होवित्जर तोपें मिल चुकी हैं. जून 2022 तक उसे 56 और तोपें मिल जाएंगी. सेना ने इनमें से अधिकतर तोपें लद्दाख में तैनात की हैं. जहां पर बीते करीब डेढ़ साल से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं. इसे बीएई सिस्टम्स नामक कंपनी बनाती है. उसने 25 तोपें की आपूर्ति पूरी तरह से तैयार मोड में की थी. बाकी की तोपें भारत में महिंद्र डिफेंस नामक कंपनी के साथ साझेदारी में बन रही हैं.
30 किमी तक गोले दागती हैं ये तोपें
होवित्जर दुनिया की एक सबसे आधुनिक तोपें हैं. इसमें 155एमएम/39 कैलिबर के गोले लगाए जाते हैं. इन्हें 30 किमी तक के रेंज में दागे जा सकते हैं. कुछ इलाकों में इन तोपों से 40 किमी तक गोले दागे जा सकते हैं. हिंदुस्तान टाइम्स अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल एसएल नरसिम्हा कहते हैं कि जरूरत के हिसाब से होवित्जर को एक इलाके से दूसरे इलाके में आसानी से ले जाया जा सकता है. इन तोपों से आर्मी की ताकत काफी बढ़ गई है.
इन तोपों का हल्का होना काफी अहम
टिटैनियम और अल्यूमीनियम से बने इन तोपों का वजह इसी श्रेणों के अन्य तोपों की तुलना में करीब आधा है. इनका वजन करीब 4218 किलो है. इन्हें आसानी से भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर सीएएच-47एफ चिनूक से कहीं भी ले जाया जा सकता है. इस तरह से ऊंची पहाड़ी इलाकों में इन्हें बेहद कम समय में तैनाती की जा सकती है.।
अरुणाचल जैसे इलाकों के लिए बेहद कारगर
अरुणाचल प्रदेश में कमांडर रह चुके ब्रिगेडियर संजीव कुमार कहते हैं कि कई ऐसे इलाके हैं जहां भारी तोपों की तैनाती नहीं की जा सकती है. लेकिन एम777 आसानी से चिकून हेलीकॉप्टर में लोड किया जा सकता और उसे आसानी से एक जगह से दूसरे जगह पर तैनात किया जा सकता है.
बोफोर्स के बाद करीब 3 दशक बाद खरीदे गए तोप
एम777 तोपों के लिए वर्ष 2016 में ऑर्डर दिया गया. भारतीय सेना ने बीते करीब तीन दशक बाद किसी तोप सौदों को अंजाम दिया. 1980 के दशक में बोफोर्स तोप खरीदे गए थे. वैसे वह सौदा काफी विवादों में रहा था. होवित्जर के अलावा भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर में दो अन्य तोपों के9 वज्र टी और बोफोर्स तोपों की भी तैनाती कर दी है. के9 को भारतीय कंपी लार्सन एंड टुब्रो ने दक्षिण कोरिया की कंपनी हन्वहा टेकविन के साथ मिलकर बनाया है. ये भी बहुत हल्की तोपें हैं और इसे मैदानी इलाके के लिए विकसित किया गया है, लेकिन भारतीय सेना ने इसमें थोड़ा बदलाव करवाकर इसे पहाड़ी इलाकों के लिए कारगर बना दी है.
एलएसी पर दोनों देशों की सेना तैयार
भारत और चीन के बीच करीब 18 माह से गतिरोध बना हुआ है. एलएसी के दोनों ओर 50 से 60 हजार सेनाएं पूरी तरह से हथियारों से लैस स्थिति में तैनात हैं. दोनों देशों ने इन इलाकों में भारी हथियार तैनात कर रखे हैं.
चीन की भी है बड़ी तैयारी
रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने भी एलएसी से लगे इलाके में 100 से अधिक पीसीएल-181 होवित्जर तोपें तैनात कर कर रखी है. उसकी तोपें भी काफी हल्की हैं. रिपोर्ट के मुताबिक इन तोपों का वजह करीब 25 टन है, जिसे कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है. इन तोपों को ट्रकों पर तैनात किया गया है. एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि भारत की ओर से तैनात किए गए एम777 तोपों की तुलना में चीनी होवित्जर तोपों का रेंज करीब दोगुना है. पीसीएल-181, 155 एमएम के तोप हैं, जिसे चाइना नार्थ इंडस्ट्रीज ग्रुप कॉरपोरेशन ने बनाया है