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करोड़ों डॉलर के अंतरिक्ष अभियान रखेगा तूफानों पर नजर Multi-million dollar space mission will keep an eye on storms

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के चिंताजनक प्रभावों में से मौसम की अनिश्चितता के साथ तूफानों की तीव्रता भी शामिल है. इस बड़े बदलाव ने दुनिया के कई देशों को परेशान कर दिया है. जहां कई देशों में पलायन और विस्थापन तक के खतरे बढ़ रहे हैं. तो वहीं कई देशों को अब और ज्यादा नुकसान झेलने के लिए तैयार रहना होगा. अब इस दशक के उत्तरार्द्ध में नासा (NASA)  एक नया अंतरिक्ष अभियान भेजेगा जो उष्णकटिबंधीय तूफानों के साथ उनके मौसम और जलवायु प्रतिमानों (Climate Models) पर पड़ने वाले प्रभावों की भी जानकारी देगा. जबकि दूसरी तरफ वैज्ञानिक चेतावनी दे रहे हैं कि मौसमी घटनाएं अब अपना और चरम प्रभाव दिखाएंगी.

क्या है इस अभियान का उद्देश्य
नासा के इस पृथ्वी विज्ञान के अभियान का नाम इन्वेस्टीगेशन ऑफ कन्वेक्टिव अपड्राफ्ट्स (INCUS) रखा है. इसके तीन छोटे उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे जिनमें आपस में बहुत मजबूत समन्वय होगा. इस अभियान को साल 2027 में प्रक्षेपित किया जाएगा जो नासा के ही अर्थ वेंचर कार्यक्रम का हिस्सा होगा. इसगा उद्देश्य तूफानों, भारी बारिश और किसी स्थान पर बादलों के निर्माण के पीछे के विज्ञान का पता लगाना होगा.

 

कैसे आते हैं तूफान
नासा की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी (JPL) ने INCUS का चुनाव अर्थ वेंचर मिशन-3 के आवेदन के जरिए किया जिसमें अहम वैज्ञानिक सवालों के जवाब खोजने के लिए पूरी अंतरिक्ष आधारित पड़ताल की मांग की थी. इकस अभियान सीधे यह पड़ताल करेगा कि किसी स्थान विशेष पर तूफान, भारी बारिश और बादल कैसे और क्यों आते हैं. यह अभियान नेशनल एकेड्मिक ऑफ साइंसेस, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन के साल 2017 के अर्थ साइंस डेकेडल सर्वे के आधार पर बनाया गया है

बेहतर हो सकेगा जलवायु का अध्ययन
इस अभियान का  उद्देश्य जरूरी लेकिन संवेदनशील शोध और अवलोकन दिशानिर्देशन करना है. नासा के अर्थ  साइंस संभाग के निदेशक कैरन सेंट जरमेन ने बताया, “बदलती जलवायु में तूफानों के विकसित होने और तीव्र होने की जानकारी मौसम के प्रतिमानों को बेहतर बनाने और चरम मौसम के जोखिम का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता को बेहतर कर सकेगा.

 

कितनी होगी लागत
उन्होंने कहा कि यह जानकारी ना केवल पृथ्वी की प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक समझ को गहरा करेगी बल्कि वह दुनिया भर के समुदायों को सूचना देने के काम में भी मददगार होगी. इस अभियान की लागत 17.7 करोड़ डॉलर आने का अनुमान है जिसमें प्रक्षेपण लागत शामिल नहीं हैं.नासा ने इस अभियान के लिए अभी प्रक्षेपणकर्ता का ऐलान नहीं किया है. प्रक्षेपण लागत जुड़ने से इस अभियान की भी लागत बढ़ जाएगी

 

होने लगी हैं चरम मौसमी घटनाएं
नासा का यह ऐलान ऐसा समय पर हुआ है जब वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन वैश्विक मौसमी स्वरूप को प्रभावित कर रहे  हैं और अगर हालात ऐसे ही रहे  तो चरम मौसमी घटनाएं और ज्यादा घटित होती दिखेंगी. वे पहले ही इस  बात का अध्ययन कर रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन कैसे महासागरों की गर्मी बढ़ा रहा है और इससे वह तूफानों को और तीव्र एवं बार बार आने वाला बना रहा है.

 

भारत के पास ज्यादा आते हैं ऐसे तूफान
चक्रवाती तूफान पहले ही ज्यादा तीव्र होने और बार बार आने के संकेत देने लगे हैं. वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें उन्होंने बताया है कि हिंद महासागर के उत्तरी इलाके में भीषण चक्रवाती तूफानों ने पिछले चार दशकों में तेजी का प्रचलन दिखाया है. यह बढ़ता चलन उच्च सापेक्ष आर्द्रता की वजह से है, जो खास तौर पर मध्यम वायुमंडलीय स्तर, कमजोर खड़ी हवा के अपरूपण (Shear) और गर्म समुद्री सतह तापमान की वजह से है.

 

हिंद महासागर में उष्णकटिबंधीय चक्रवाती मौसम अप्रैल और दिसंबर के बीच में बनते हैं. इसमें वे मई से नवंबर के बीच में चरम पर होते हैं. वहीं अमेरिकी की नेशनल ओशियानिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने अनुमान लगाया है कि अटलांटिक महासागर में तीव्र हरिकेन तूफनों का मौसम इस साल मई में शुरू हुआ था. इन सभी तरह के तूफानों के चलन में  बदलाव समझने में इनकस जरूरी कमी को पूरा करेगा.

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