सफलता ठान लेने से मिलती है
दशरथ मांझी जिन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से भी जाना जाता है, इनको कौन नही जनता? जिन्होंने यह साबित किया है, कि कोई भी काम असंभव नही है।
दशरथ मांझी बिहार में गया के करीब गहलौर गांव के एक गरीब मज़दूर थे। दशरथ मांझी काफी कम उम्र में ही धनबाद की कोयले की खान में काम करने लगे, बड़े होने पर फाल्गुनी देवी नामक लड़की से शादी कर ली। अपने पति के लिए खाना ले जाते समय उनकी पत्नी फाल्गुनी पहाड़ के दर्रे में गिर गयी।
पहाड़ के दूसरी और अस्पताल था, जो करीब 55 किलोमीटर की दूरी पर था। दूरी होने के कारण उचित समय पर उनको उपचार नही मिल पाया, जिसके कारण उनका निधन हो गया। यह बात उनकें दिल को लग गयी, इसके बाद दशरथ मांझी ने संकल्प लिया कि वह अकेले अपने दम पर पहाड़ के बीचों-बीच से रास्ता निकालेगे और केवल एक हथौड़ा और छेनी लेकर खुद अकेले ही 360 फुट लंबी 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊँचे पहाड़ को काटकर एक सड़क बना डाली। 22 वर्षों के अथक परिश्रम के बाद, दशरथ की बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लाक की दूरी को 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया।
लोगो ने इन्हें पागल कहा लेकिन इस बात ने इनके निश्चय को और भी मजबूत किया।” उन्होंने अपने काम को 22 वर्षों (1960-1982) में पूरा किया। पहले-पहले गाँव वालों ने उन पर ताने कसे लेकिन उनमें से कुछ ने उन्हें खाना दिया और औज़ार खरीदने में उनकी सहायता भी की।”
एक इंसान जिसके पास नहीं पैसा था, ना हीं ताकत थी, उसने एक पहाड़ खोद दिया, उनकी जिंदगी से हमें एक सीख मिलती है, की हम किसी भी कठिनाई को आसानी से पार कर सकते है, अगर आप में उस काम को करने की ज़िद है।
कैंसर से पीड़ित मांझी का 73 साल की उम्र में, 17 अगस्त 2007 को निधन हो गया। दशरथ मांझी, जिसने अपने जज्बे और जुनून से सारा जोर अपने लक्ष्य को पाने में लगा दिया और जब तक चैन से नही बैठ जब तक सफल नही हो गया।
सीख –
जब हमारा लक्ष्य सामने होता है तो लाख समस्या आने के वावजूद, हमे कोई भी सफल होने से नही रोक सकता। भले ही कितना ही समय लग जाये लेकिन सफलता जरुर मिलती है।