अजब गजब

दुनिया के अकेले शाकाहारी मगरमच्छ से मिलिए, मांस छूता नहीं, खाता है सिर्फ चावल और गुड़Meet the world’s only vegetarian crocodile, does not touch meat, eats only rice and jaggery

मगरमच्छ अगर पानी में दिख जाए, तो तैराकों की जान सूखने लगती है. नदी के किनारे ये खतरनाक जीव कब आकर किसी का काम तमाम कर दे, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में अगर हम आपसे कहें कि एक मगरमच्छ (Vegetarian Crocodile) ऐसा भी है, जो मांस (Vegetarian Crocodile Eats Rice) को छूता भी नहीं तो यकीन करना मुश्किल होगा ! हालांकि बाबिया (Vegetarian Crocodile Babiya) नाम का एक मगरमच्छ है, जिससे किसी भी जीव को खतरा नहीं है

श्री अनंतपद्मनाभन स्वामी लेक टेक टेंपल (Sri Ananthapadmanabha Swamy Lake Temple) में इस मगरमच्छ का घर है और ये अपने शाकाहारी व्यवहार की वजह से दुनिया भर में सुर्खियां बटोर चुका है. दिलचस्प बात ये है कि बाबिया नाम का ये मगरमच्छ मंदिर के अंदर भी टहलता हुआ देखा गया है, लेकिन उसने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया. हालांकि उसका ज्यादातर समय मंदिर के पास मौजूद तालाब में ही गुजरता है

चावल और गुड़ खाता है मगरमच्छ
विशालकाय मगरमच्छ (Giant Vegetarian Crocodile) को देखकर हो सकता है कि हम डर जाएं, लेकिन वो बेहद सज्जन है. बताते हैं कि वो हर रोज़ तालाब पर ही अपने खाने का इंतज़ार करता है. मंदिर के पुजारियों के मुताबिक वो पके हुए चावल और गुड़ खाकर रहता है. उसे दिन में दो बार यही खाना दिया जाता है. पिछले 70 सालों से चावल खाकर ही वो अपना पेट भरता है, उसे कभी मांस-मछली नहीं दी गई. उसने कभी किसी पर अटैक भी नहीं किया. उसे पुजारी अपने हाथ से खाना भी खिलाते हैं. दिन में उसकी डायट 1 किलोग्राम चावल की है. बाबिया मादा मगरमच्छ है.

दूर-दूर से मगर को देखने आते हैं लोग
बाबिया मगर प्रजाति की मगरमच्छ है. बताते हैं कि इस प्रजाति के मगरमच्छों को खाने के लिए मछलियों से लेकर बड़े जानवरों तक का मांस चाहिए होता है. फिर भी बाबिया को कभी भी ऐसा करते नहीं देखा गया. तालाब में रहने वाली मछलियों को भी वो नहीं खाती. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मगर बड़े सर्वाइवर होते हैं, इसलिए उसने इसी तरह रहना सीख लिया है. बताया जाता है कि मंदिर के पुजारी के बुलाने पर बाबिया मंदिर में आ जाती है और फिर कहने पर वापस तालाब में चली जाती है. ये कहानी बेहद अजीब है, लेकिन लोग इसे महसूस करने के लिए दूर-दूर से यहां आते हैं.

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