गोवर्धन पूजा क्यों करते है?

नवम्बर, 2021 (शुक्रवार)
दिवाली पंच दिवसीय त्योंहार है जिसके दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। इस पर्व पर गोवर्धन और गौ माता की पूजा का विशेष महत्व है। लोग अपने घरों में गोबर से गोवर्धन का पर्वत बनाकर अराधना करते हैं। गोवर्धन पूजा की कहानी श्री कृष्ण की तमाम लीलाओं में प्रमुख है। श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में उन्होंने अपने बाल्यकाल में अनेकों लीलाएं की है, इसलिए ब्रज को स्वर्ग का हिस्सा माना जाता है।
कहा जाता है कि एक दिन बाल्यकाल में नटखट कान्हा ग्वाल बालों के साथ खेल कर घर आए तो मां यशोदा घर में पकवान बना रही थीं। कृष्ण ने मां यशोदा से पूछा कि इतने तरीके के पकवान और व्यंजन किसके लिए तैयार कर रही हो? मुझे भी खाना है, इस पर यशोदा मां ने बताया कि यह पकवान स्वर्ग के देवता इंद्र के लिए हैं। पहले उन्हें भोग लगाया जाएगा। उसके बाद ही बाकी लोगों को खाना खिलाया जाएगा, नहीं तो इंद्र देव नाराज हो जाएंगे और बारिश नहीं होगी। जिससे जमीन बंजर हो जायेगी और लोगों को अनाज नहीं मिलेगा। इस पर 7 साल के कान्हा ने अपनी मां से पूछा क्या आपने कभी इंद्र देवता को देखा है? इस पर मां ने कहा नहीं मैनें देखा तो नहीं है, लेकिन उनकी वजह से ही ब्रज में हरियाली है और वही वर्षा करते हैं। इसलिए सभी ब्रजवासी अपने-अपने घरों में पकवान बना रहे हैं।
कान्हा ने कहा मां इस बार आप मेरे भगवान की पूजा करो जो आपको दिखाई भी देगा और आप से पकवान भी मांग कर खायेगा। कन्हैया ने अपनी यह बात नंदबाबा और ब्रज के सभी लोगों के सामने रखी। जिस पर सभी ने कहा कि कई वर्षों से हम इंद्र की पूजा करते रहे हैं। इस बार कृष्ण के देवता की पूजा करेंगे, जिससे खुश होकर अधिक वर्षा करें। श्री कृष्ण सभी ब्रजवासियों को लेकर गिरिराज पर्वत के सामने खड़े हो गए। वहां पहुंचकर सभी ने कृष्ण से उनके देवता के बारे में पूछा तभी कान्हा ने आवाज लगाई और कहा गोवर्धन नाथ सभी ब्रजवासी आपको भोग लगाने को पकवान और व्यंजन लाए हैं। तभी गिरिराज पर्वत में से श्रीगोवर्धन नाथ जी ने देवता के रूप में सभी को दर्शन दिए और सभी लोगों से पकवान मांग कर खाया।
अपने हाथों से गोवर्धन महाराज को भोग लगाकर सभी ब्रजवासी खुश हो गए। लेकिन जब ये बात इंद्र देव को पता लगी तो वह नाराज हो गए। इंद्र ने कहा कि एक 7 साल के बालक के कहने पर ब्रजवासियों ने मेरी पूजा न करके एक पर्वत की पूजा की। क्रोध में आकर इंद्र ने ब्रज में मूसलाधार बारिश शुरू कर दी, जिससे डरे ब्रजवासी कान्हा के पास गए और कहा कि अब तुम ही हमारी रक्षा करो। हमने तुम्हारे कहने पर इंद्र की पूजा नहीं की। तब कृष्ण ने सब को गोवर्धन पर्वत चलने को कहा, इसके बाद सब लोग गोवर्धन पर्वत पहुंचे। जहां भयभीत ब्रजवासियों को देख श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी तर्जनी उंगली पर उठा लिया और संपूर्ण गोकुल वासियों को इंद्र के प्रकोप से बचा लिया।
गुस्साए इंद्र ने ब्रज में 7 दिन और 7 रात मूसलाधार बारिश की। जब इंद्र के पास जल समाप्त हो गया तो उन्होंने सोचा कि अब तक तो ब्रज खत्म हो गया होगा। यह देखने के लिए जब इंद्र ब्रजभूमि पर आए तो देखा यहां तो धूल मिट्टी उड़ रही है। वहीं कृष्ण 21 किलोमीटर में फैले विशाल गिरिराज पर्वत को उंगली पर उठाये हुए थे। इस नजारे को देख इंद्र श्री कृष्ण के पैरों में गिर गए। उन्हें मनाने के लिए कृष्ण को ऐरावत हाथी व अन्य कई वस्तुएं भेंट की लेकिन कृष्ण नहीं माने। फिर इंद्र ने नारद जी की सलाह पर सुरभि गाय |