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पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला दीपावली के मौके पर PM नरेंद्र मोदी का तोहफा Decision to reduce excise duty on petrol and diesel PM Narendra Modi’s gift on the occasion of Diwali

जी-20 और COP26 में भारत का पक्ष पूरी ताकत से रखने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सफल और असरदार रहे दौरे के बाद लौटे तो एक और बड़ा फैसला लेने में चंद घंटे ही लगाए. पीएम मोदी के विदेश दौरे से वापस लौटने के चंद घंटे के भीतर पेट्रोल औऱ डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया. ये साबित करता है कि की पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आम लोगों की रोजमर्रा की समस्याओं को लेकर कितनी संवेदनशील है. खासकर पीएम मोदी जो जमीनी हकीककत को जानकर और समझकर उसके मुताबिक फैसला लेने में कितने सक्षम हैं.जाहिर है कि डीजल और पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी हटाने का फैसला अर्थव्यव्यवस्था के एक नयी गति देगा और उस गति का इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है. ये फैसला इसके इस्तेमाल को बढ़ाएगा और साथ ही महंगाई दर को भी काबू में रखेगा. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे गरीबों और मध्य वर्ग को फायदा होगा. ये फैसला इकोनॉमिक साइकिल को और गति देगा

विपक्षी राज्यों को अब देना होगा जवाब
सूत्रों के मुताबिक कई ऐसे विपक्षी शासित राज्य हैं जो दिखाते हैं कि वो गरीबों, किसानों और मध्य वर्ग के लिए चिंतित रहते हैं लेकिन अपने राज्यों में पेट्रोल और डीजल पर वैट वहुत ज्यादा रखते हैं. उन राज्यों के लिए अब जवाब देना भारी पड़ेगा. उदाहरण के तौर पर देखें तो दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 30% है, मुंबई में 26% वैट है लेकिन उसके साथ ही अतिरिक्त 10.12 रुपये प्रति लीटर, कोलकाता में वैट 25% या फिर 13.12 रुपये प्रति लीटर जो भी ज्यादा रहे और हैदराबाद में वैट 35.20% है.

 

कांग्रेस शासित राजस्थान में वैट 36% के साथ साथ 1.50 रुपये प्रति लीटर है. सरकारी सूत्र बताते हैं कि कुछ इसी तरह विपक्ष शासित राज्यों में डीजल पर वैट बहुत ज्यादा ही है. जबकि बीजेपी शासित गुजरता में डीजल पर वैट सिर्फ 20% है

इसलिए सरकारी सूत्रों का मानना है कि विपक्षी शासित राज्यों को अब केन्द्र सरकार के इस सकारात्मक फैसले का असर होगा ओर वो भी अपने प्रदेशों में पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने का फैसला जल्दी से जल्दी लेंगे. अन्यथा जनता में संदेश तो यही जाएगा कि गैर बीजेपी शासित राज्य की गरीबों, किसानों और मध्य वर्ग के पक्ष में फैसले लेने की बातें कल्पना की कोरी उड़ान ही लगेंगीं

 

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