धर्म

दीपावली क्यों मानते ,क्या है पूजा मुहूर्त एवम सरल विधि आइये जानते है कैसे हो धनवर्षा

इस विधि से करें महालक्ष्मी पूजन
4 नवम्बर, 2021 (गुरूवार)
दिवाली के दिन सुबह में पूर्व दिशा में एक चौकी गंगाजल से स्वच्छ कर के रखें। उस पर लाल रंग का एक रेशमी कपडा बिछा दें। इसके ऊपर अक्षत से अष्टदल बना लें। बाद में चौकी के ऊपर लक्ष्मीजी के साथ विराजमान गणेशजी और माँ सरस्वती की तस्वीर स्थापित करें और चौकी के आगे की तरफ स्वच्छ कपडा बिछाकर उस पर व्यापार या घर में उपयोग में ली जाने वाली बही-खाते की पुस्तक को रखें। इसके बाद चौकी के पास बायीं तरफ एक शुद्ध घी का अखंड दीपक तैयार करके रखें। अब पूजा विधि शुरू करते है।

सर्वप्रथम गंगाजल छिड़ककर अपने आपको और सभी उपस्थित पूजा सामग्री को पवित्र करें। अब अखंड दीपक को प्रज्वलित करके दीपक को इस मंत्र के साथ नमस्कार कीजिये-

शुभम करोतु कल्याणम, आरोग्यम धन सम्पदाम।
शत्रु बुद्धिर्विनाशाय, दीपज्योतिर्नमोस्तुते।।

 

अब खुद के मस्तक पर कुमकुम या रोली से टिका लगाइए और आपको संकल्प लेना है जिसमें पूर्ण भावश्रद्धा के साथ संपूर्ण परिवार में विद्या, ज्ञान एवं धन संपत्ति की प्राप्ति और स्थिरता के लिए प्रार्थना करें। अब चौकी पर जो तस्वीर रखी है उसमें गणेश जी को टिका लगाकर, अक्षत, पुष्प आदि अर्पण कीजिये। अब आपको चौकी के मध्य में कलश की स्थापना करनी है। जिसके लिए एक ताम्बे का कलश ले लें। उसमें गंगाजल, शुद्ध जल, अक्षत, दुब (दूर्वा), पुष्प, सुपारी, दक्षिणा डाल दें। उसके बाद पांच आम या अशोक के पत्ते और एक नारियल कलश के ऊपर रखकर कलश को मोली बांधे और कलश पर कुमकुम या रोली से स्वस्तिक बनाकर चौकी के मध्य में स्थापित कर लें।

अब तस्वीर में देवी महालक्ष्मी और देवी महासरस्वती को टिका लगाएं तथा अक्षत, पुष्प, हल्दी आदि चढ़ाकर पूजा करें। तत्पश्च्यात शारदा पूजन के लिए चौकी के आगे की तरफ रखीं बही खाते की पुस्तक पर कुमकुम, हल्दी, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर पूजा करें और माँ शारदा (सरस्वती) का यह स्तोत्र पाठ करते हुए नमस्कार करें।

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवै: सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती नि:शेषजाड्यापहा।।

इसके बाद सभी देवी देवता को धुप दिखाएं तथा एक ओर घी का दीपक प्रज्वलित कर, दीपक दिखाएं। अब फल, सूखा मेवा, मिठाई इत्यादि का भोग लगाएं और श्री मंदिर पर माँ महालक्ष्मी की आरती सुनते हुए सभी देवी देवता की आरती करें तथा मंत्र पुष्पांजलि अर्पण करें। और इस क्षमापना मंत्र से पूजा में जाने अनजाने हुई किसी भी प्रकार की भूल के लिए क्षमा याचना करें।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर॥
मंत्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं जनार्दन।
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे॥

इस विधि से करें माँ महालक्ष्मी की पूजा और पाएं माँ महालक्ष्मी का आशीर्वाद।

अगले विडियो में देखना ना भूलें दीपावली की पौराणिक कथा के बारे में।

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