अपनी परंपरा की जड़ों में जाएं, बिहान बाजार में मिल रहे धान के झूमर भी जिला पंचायत परिसर में इस बार लगे बिहान बाजार को लोगों का मिल रहा अच्छा प्रतिसाद

दुर्ग। छत्तीसगढ़ में पारंपरिक रूप से घरों में दीपावली के अवसर पर धान की बालियों से बने सुंदर फाते अथवा झूमर घर के प्रवेश द्वार में लगाये जाते थे और यह खूबसूरत झूमर की तरह अपनी पीली आभा में चमकते रहते थे। शहरों में फाता मिलने बंद हो गए और यह परंपरा भी नष्ट होती गई क्योंकि चाहकर भी शहरी लोगों के लिए फाता दुर्लभ रहा। इस बार अन्य खास छत्तीसगढ़ी आइटम के साथ ही फाता की भी धूम बिहान बाजार में है। बिहान बाजार में 106 स्व-सहायता समूहों ने अपने स्टाल लगाये हैं और परंपरापगत रूप से लोकप्रिय सामग्री के साथ ही ऐसी दुर्लभ सामग्री भी मिल रही है जो पहले परंपरा में थी लेकिन जिनका उपयोग धीरे-धीरे कम हो गया।
आस्था स्व-सहायता समूह चिरकोटी की सदस्यों ने कहा कि हमने धान की झूमर बनाई है। इससे दीवाली की खूबसूरती तो बढ़ती ही है। बहुत सारी चिडिय़ा धान का दाना लेने आती हैं जिससे बहुत खूबसूरत दृश्य बनता है। हमें बहुत खुशी है कि सबसे ज्यादा माँग हमारे इसी प्रोडक्ट की हो रही है। जिला पंचायत सीईओ अश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर महोदय ने विशेष रूप से निर्देश दिये थे कि बिहान मार्केट में दीवाली से संबंधित सभी स्थानीय सामग्री उपलब्ध हो ताकि एक ही छत के नीचे सभी तरह के उत्पाद नागरिकों को मिल सकें। इसमें लक्ष्मी पूजा में मौजूद सामग्री के साथ ही पूजा की तमाम सामग्री उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री निवास से भी मिला आर्डर-
स्व-सहायता समूहों को मुख्यमंत्री निवास से भी आर्डर मिला है। पिछली दफा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की धर्मपत्नी मती मुक्तेश्वरी बघेल भी बिहान बाजार आई थीं और यहां के उत्पादों को खूब पसंद किया था और खूब शापिंग की थी। यहां की सामग्री की खूबसूरती और गुणवत्ता को देखते हुए इस बार भी मुख्यमंत्री निवास से आर्डर मिला है।
आर्टिफिशियल ज्वेलरी और कपड़ों का भी सुंदर कलेक्शन-
बाजार की विशेषता यहां खूबसूरत आर्टिफिशियल ज्वेलरी का कलेक्शन भी है जो काफी संख्या में बिक रहे हैं। इसके अलावा कपड़ों का भी सुंदर कलेक्शन है। कपड़ों की विशेषता इस पर की गई आर्टिस्टिक डिजाइन है जिस पर परंपरागत छत्तीसगढ़ी मोटिफ उभारे गये हैं। यहां तक की मोटिफ वाले रूमाल भी यहां उपलब्ध कराये गये हैं।
गिफ्ट आइटम भी बनाये गये हैं जिसमें छत्तीसगढ़ी व्यंजन प्रमुखता से है। स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि पिछली बार भी बहुत अच्छा रिस्पांस मिला था। इस बार भी बाजार में लोग बड़ी संख्या में आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष लगभग सोलह लाख रुपए का विक्रय इस बाजार के माध्यम से हुआ था।