छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

दीपावली के बाद पाटन में आरंभ होगी नीट की कोचिंग -कोरोना से जिन बच्चों में आई लर्निंग डिफिकल्टी, उनके लिए होंगी एक्सट्रा क्लास

दुर्ग। पाटन में नीट की तैयारी के लिए कक्षाएं आरंभ की जाएंगी। यहां बच्चों को रहवासी सुविधा भी मिल सकेगी। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने यह निर्देश शिक्षा अधिकारियों की समीक्षा बैठक में दिये। यह सुविधा 100 छात्र-छात्राओं के लिए उपलब्ध होगी। आज हुई समीक्षा बैठक में कलेक्टर ने कहा कि कोचिंग सुविधा कार्ययोजना बनाकर अन्य शहरों में भी उपलब्ध कराई जाये ताकि जिला मुख्यालय से दूरस्थ जगहों में रह रहे प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं को भी करियर का बेहतर अवसर उपलब्ध हो सके। कलेक्टर ने बैठक में एनडीए आदि की कोचिंग के संबंध में जानकारी ली। डीईओ ने बताया कि एनडीए की परीक्षा के लिए लड़कियों को भी कोचिंग दी जा रही है और अभी 26 लड़कियां इसकी कक्षाएं ले रही हैं।

कोरोना की वजह से हुआ लर्निंग लास होगा दूर, विशेष कार्ययोजना पर होगा काम-
कलेक्टर ने कहा कि कोरोना काल की वजह से कुछ बच्चों को लर्निंग डिफिकल्टी आई है। इस गेप को दूर करना होगा। इसके लिए सामान्य कक्षाओं के साथ ही विशेष कक्षाएं भी आयोजित करनी होगी ताकि बच्चों की दिक्कत दूर हो सके। छोटे बच्चों के लिए शब्दों की समझ के साथ ही गणित की संक्रिया आदि पर विशेष ध्यान देना होगा और जिन बच्चों में कमी पाई गई है उन पर विशेष ध्यान देना है। कलेक्टर ने इस संबंध में सोमवार को सभी प्राचार्यों और हेडमास्टरों की बैठक लेकर इस विषय पर समीक्षा करने के निर्देश दिये।

दसवीं और बारहवीं के लिए वीकली टेस्ट
कलेक्टर ने हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी के संबंध में भी विशेष रूप से जानकारी ली। जिला शिक्षा अधिकारी  प्रवास सिंह बघेल ने बताया कि इसके लिए वीकली टेस्ट लिये जा रहे हैं। सभी स्कूलों में वीकली टेस्ट के नतीजों की समीक्षा भी की जा रही है और इस संबंध में विशेष रूप से प्राचार्यों की बैठक बुलाई गई है। कलेक्टर ने कहा कि परिणामों का बारीकी से अध्ययन करें और जिन स्कूलों में नतीजे खराब रहे हैं वहां इसके कारणों की पड़ताल कर ऐसे उपाय सुनिश्चित करें ताकि अगली बार वीकली टेस्ट में बच्चों का परफार्मेंस सुधरे।

दिव्यांग बच्चों के लिए बनाए विशेष प्लान- स्कूलों में लगातार दिव्यांग बच्चों का सर्वे किया जा रहा है। कलेक्टर ने कहा कि इनकी बेहतर पढ़ाई के साथ ही इनके इलाज का भी प्लान बनाएं। इसके लिए उन्होंने सात दिनों में कार्ययोजना बनाने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं। उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों को दिव्यांगता से बाहर लाने का कार्य सबसे प्राथमिकता का है। इसकी लगातार मानिटरिंग करते रहें। सहायक उपकरण उपलब्ध कराने के साथ ही समस्या के जड़ पर काम करते हुए इसके निदान की व्यवस्था सुनिश्चित कराएं।

Related Articles

Back to top button