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गोमुखासन योग

गोमुखासन एक संस्कृत का शब्द है, जो दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है। पहला शब्द “गौ” का अर्थ “गाय” है और दूसरा शब्द “मुख” का अर्थ “मुंह” है। इस आसन का मतलब गाय के मुंह के समान होता है ।

गौ शब्द का अर्थ प्रकाश भी होता है। इस आसन में जांघें और दोनों हाथ एक छोर पर पतले और दूसरे छोर पर चौड़े होते हैं, जिसके कारण वो गाय के मुख के समान दिखाई देते हैं। यह हठ योग में की श्रेणी में सबसे प्रचलित आसन है।

इस आसन को करने में व्यक्ति की स्थिति गाय के समान दिखाई देती है। योग का यह आसन करने में बहुत ही सरल है। गोमुखासन महिलाओं के लिए भी बहुत लाभदायक होता है। वजन को कम करने के लिए और अपने शरीर को सुंदर बनाने के लिए यह आसन बहुत ही फायदेमंद होता है। गोमुखासन हमारे कंधों और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत करता है ।

गोमुखासन करने के फायदे

इस योग को करने के अनेक लाभ हैं । आइये गोमुखासन के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं ।

  1. अस्थमा के लिए : यह फेफड़ों के लिए एक बहुत ही अच्छा योगाभ्यास है और श्वसन से संबंधित रोगों में सहायता करता है। यह छाती को पुष्ट बनाता है और फेफड़ों की सफाई करते हुए इसकी क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए अस्थमा से पीड़ित रोगियों को नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
  2. बांंहों की मजबूती के लिए : अगर आपको पीठ एवं बांहों की पेशियां को मजबूत बनाना हो, तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें।
  3. कूल्हे (Hips) के दर्द में राहत : अगर आप hips के दर्द से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास करें।
  4. रीढ़ की हड्डी के लिए : यह रीढ़ को सीधा रखने के साथ साथ इसको मजबूत भी बनाता है।
  5. बवासीर (Hemorrhoids) को रोकने में : यह बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना जाता है।

  1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लिए : इस आसन के अभ्यास से आप बहुत सारी परेशानियों से छुटकारा पा सकते हैं जैसे कंधे की जकड़न, गर्दन में दर्द, तथा सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस।
  2. सेक्सुअल प्रोब्लम्स के लिए : लैंगिक परेशानियों को दूर करने में यह आसन बहुत ही कारगर है। यह स्त्री रोगों के लिए भी बहुत लाभदायक है।
  3. कमर दर्द में : इसके नियमित अभ्यास से आप कमर दर्द की परेशानियों से राहत पा सकते हैं।
  4. यकृत एवं गुर्दे के लिए : यह आपके यकृत एवं गुर्दे को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका निभाता है।
  5. शरीर को लचकदार बनाने में : यह आसन करने से शरीर सुड़ौल एवं लचकदार बनता है।
  6. मधुमेह के लिए : यह आपके पैंक्रियास को उत्तेजित करता है और मधुमेह के कंट्रोल में सहायक है।
  7. यह छाती को को खोलता है और आपके पोस्चर या सामान्य बैठने और खड़े होने की मुद्रा में सुधार लाता है।
  8. यह पैर में ऐंठन को कम करता है और पैर की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है।
  9. यदि 10 मिनट या अधिक के लिए आप इसका अभ्यास करें, तो यह थकान, तनाव और चिंता को कम करेगा। ध्यान रहे की अभ्यास की अवधि धीरे-धीरे ही बढ़ायें।
  10. यह दृढ इच्छाशक्ति का विकास करता है।

गोमुखासन करने की विधि

  1. इस आसन को करने के लिए आप खुले हवादार स्थान पर चटाई बिछा के सुखासन या क्रॉस पैर वाली मुद्रा में बैठ जाएं।
  2. इसके बाद अपने बांए पैर को अपने शरीर की ओर खींच के उसे अपने पास ले आयें।
  3. उसके बाद अपने दायं पैर को बांए पैर की जांघों के ऊपर रखें और उसे भी खींच के अपने शरीर के पास ले आयें।
  4. अब अपने दाएं हाथ को कंधे के ऊपर करें और कोहनी के यहां से मोड़ के अपनी पीठ के पीछे जितना अधिक हो सकता हैं ले जाएं।
  5. अब अपने बाएं हाथ को भी कोहनी के यहां से मोड़े और पेट के साइड से पीछे की ओर पीठ पर लेके जाएं।
  6. अब दोनों हाथों को खींच के आपस में मिलाने की कोशिश करें। और पीठ के पीछे हाथों को एक दूसरे से पकड़ लें।
  7. अब इस आसन में कुछ देर तक रहें और 10-12 बार सांस लें।
  8. जब आपको इस स्थिति में असुविधा होने लगे तो आप पुनः अपनी प्रारंभिक स्थिति में आयें। इसके लिए अपने दोनों को हाथों को खोलें और पैरों को सीधा करें।

गोमुखासन करने से पहले ध्यान रखने वाली बातें

कई लोगों के लिए शुरुआत में अक्सर दोनों कूल्हे समान रूप से फर्श पर नहीं टिक पाते हैं। इस वजह से घुटने एक दूसरे के ऊपर रखने में मुश्किल हो सकती है और रीढ़ की हड्डी ठीक से सीधी नहीं हो पाती। अगर आपके साथ ऐसा हो तो एक कंबल की तह बना कर अपने कूल्हों के नीचे रख लें ताकि दोनो कूल्हे एक समान हों।

अगर आपके कंधों में लचीलापन कम हो, तो आप हाथों को पकड़ने में कठिनाई का सामना कर सकते हैं। ऐसा हो तो एक छोटा तौलिया लें, और दोनो हाथों से एक-एक छोर पकड़ लें।

यह आसन औरतों के लिए बहुत ही लाभकारी है। जिन लोगों को घटिया, साइटिका, अपचन, बवासीर, मधुमेह और कमर में दर्द रहता है उनके लिए यह आसन बहुत ही बढ़िया है ।

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