दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रोफेसर से कहा- इस्तीफा स्वीकार होने के बाद नहीं कर सकते वापस लेने की मांग Delhi High Court told the professor – after accepting the resignation, cannot demand to withdraw
नई दिल्ली. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने एक मामले में ऐतिहासिक फैसला देते हुए स्पष्ट किया है कि यदि कोई व्यक्ति एक बार इस्तीफा दे देता है और उसे स्वीकार कर लिया जाता है तो वह बाद में उसे वापस लेने की मांग नहीं कर सकता. दिल्ली हाइकोर्ट ने यह फैसला जामिया मिलिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) के गणित के प्रोफेसर मोहर्रम अली खान (Professor Muharram Ali Khan) के एक मामले में दिया है. दरअसल, प्रोफेसर ने जामिया यूनिवर्सिटी से इस्तीफा देकर सऊदी अरब के एक विश्वविद्यालय में नौकरी कर ली थी और फिर एक वर्ष के बाद अपना इस्तीफा वापस लेने की मांग की थी. यूनिवर्सिटी ने उसे अस्वीकार कर दिया था. प्रोफेसर ने फिर इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति वी कामेश्वर राव की पीठ ने प्रोफेसर मोहर्रम अली खान की उस दलील को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्हें जामिया से इस्तीफे को स्वीकार करने संबंधी आदेश नहीं मिला था. पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने खुद ही इस्तीफा दिया था और उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया था. ऐसे में वह दोबारा नौकरी का दावा नहीं कर सकते हैं.29 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा
वहीं, कुछ देर पहले कोर्ट से संबंधित ही एक खबर सामने आई थी, जिसमें दिल्ली की अदालत बैंक ऋण धोखाधड़ी से संबंधित धनशोधन के मामले में आरोपी राजीव सक्सेना (Rajeev Saxena) की जमानत याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. विशेष न्यायाधीश संजय गर्ग (Judge Sanjay Garg) की अदालत ने आरोपी की ओर से पेश वकील और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अदालत ने कहा, ‘‘ दलीलें सुन ली गई हैं और फैसला 29 अक्टूबर 2021 को सुनाया जाएगा.’’354 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है
इस समय न्यायिक हिरासत में मौजूद सक्सेना ने कहा कि अब उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत नहीं है और ऐसे में उन्हें अब हिरासत में रखने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी. ईडी ने उनके आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि अगर उन्हे जेल से रिहा किया गया तो वह फरार हो सकते हैं और इससे जारी जांच प्रभावित हो सकती है. ईडी ने 12 सितंबर को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से जुड़े ऋण धोखाधड़ी कांड में सक्सेना को गिरफ्तार किया था. बैंक ने आरोप लगाया है कि मोजर बेयर, उसके निदेशक और अन्य ने बैंक से 354 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है.