बंद फैक्ट्री में पुलिस ने छापा मारकर चोरी की गाडिय़ों को काटने वालों को कबाड़ के साथ पकड़ा
भिलाई। भिलाई में सालों से बंद पड़ी आयरन फैक्ट्री को कुछ लोगों ने उसे चोरी की गाडिय़ों को काटने की फैक्ट्री बना डाला। हर दिन इस फैक्ट्री में सायकल, दो पहिया, चार पहिया से लेकर ट्रक सहित कई चोरी के वाहन को काटकर कबाड़ बनाकर उसे बेचने का कार्य रहे थे। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब सुबह सीएसपी छावनी कौशलेंद्र देव पटेल वहां से गुजर रहे थे तो उन्हें सालों से बंद पड़े इस फैक्ट्री को देखकर संदेह हुआ। सीएसपी ने उसी समय जामुल पुलिस को बुलाकर फैक्ट्री के अंदर देखा तो वहां का नजारा देखकर सभी दंग रह गए। यहां चोरी की साइकिल, दो पहिया वाहन से लेकर चार पहिया और ट्रक जैसे वाहन के स्क्रैप का जखीरा लगा था।
पुलिस ने वहां से एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया लेकिन एक आरोपी वहां से फरार हो गया है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की और कागजात मांगे तो उसने झूठी कहानी बताकर गुमराह करते हुए कहने लगा कि बंद पड़ी फैक्ट्री उसके पिता की है। पिता की मौत के बाद से वह बंद पड़ी है और वह लोग उसी के अंदर रहते आ रहे हैं। उसने बताया कि वह सालों से इसी फैक्ट्री में स्क्रैप का कारोबार करते आ रहे हैं। उन्होंने इसका एक छोटा प्लांट भी लगाया है और बिजली कनेक्शन भी ले रखा है। लेकिन पुलिस ने जब उनसे कंपनी के संबंध में दस्तावेज मांगे तो उनके पास नहीं थे। जिसके बाद ही पुलिस ने एक आरोपी को पकड़ा है।
सीएसपी छावनी कौशलेंद्र देव पटेल ने बताया कि वह जामुल क्षेत्र में कुछ सामान खरीदने के लिए गए थे। इस दौरान उन्हें सालों से बंद पड़ी फैक्ट्री आरडी स्टील दिखी। पूछने पर पता चला कि यहां पुरानी गाडिय़ों को काट कर उसे बेचा जाता है। सीएसपी ने तुरंत जामुल थाना टीआई गौरव पांडेय को टीम के साथ बुलाया। पुलिस ने अंदर देखा तो बड़े पैमाने पर गाडिय़ों का स्क्रैप, फैक्ट्री में डंप था। पुलिस को देखते ही रियाज नाम का एक आरोपी वहां से भाग खड़ा हुआ, जबकि दानिश नाम का युवक पकड़ा गया।
परिवहन विभाग का टैक्स बचाने भी लोग पुरानी गाडिय़ों को बेचते हैँ कबाड़ में
सूत्रों के मुताबिक जिले में बड़े पैमाने पर चोरी की गाडिय़ां बिना बिक्री कबाड़ के दाम पर बेच दी जाती हैं। वाहन मालिक लाखों रुपए टैक्स बकाया रहने वाली गाडिय़ों को कबाड़ के भाव बेच देते हैं। कबाड़ी भी सस्ते दर पर मिलने के कारण उस गाड़ी के बिक्री का परिवहन विभाग से एनओसी भी नहीं लेते हैं। ऐसे में परिवहन विभाग टैक्स वसूली के लिए गाडिय़ों को खोजता रहता है और गाडिय़ां स्क्रैप के भाव बिक जाती हैं। इसी धंधे की आड़ में कबाड़ी चोरी की गाडिय़ों को भी खरीद कर उसका स्क्रैप बनाकर बेच रहे हैं।