हर आपदा के बाद पसर जाता है खौफ! बचे 15 दिनों में कैसे बहाल होगी यात्रा?After every disaster, fear spreads! How will the journey be restored in the remaining 15 days?
देहरादून. प्राकृतिक आपदा हो या कोविड जैसी महामारी की मार, सबसे ज़्यादा असर चारधाम यात्रा पर पड़ता है. हर आपदा और रोक का सीधा असर कारोबार और यात्रियों की संख्या पर दिखता है. दो दिनों की बारिश के रेड अलर्ट ने चार धाम में यात्रियों को बेहद डराकर रख दिया. सरकार और प्रशासन ने किसी भी यात्री को हिलने नहीं दिया, कोशिश यही थी कि हर यात्री सुरक्षित रहे. रविवार से भारी बारिश के बाद अब चार धाम यात्रा सुचारू हो रही है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार बंद रास्ते खुलवाए जाने की बात कह रहे हैं. लेकिन श्रद्धालुओं की संख्या एक कहानी बयान करती है.
दरअसल, 2013 की केदारनाथ आपदा में जो हुआ, उसने पूरे देश में तीर्थयात्रियों के मन में दहशत पैदा कर दी थी. नतीजे में ये आंकड़े हाथ लगे. 2012 में जिस चारधाम यात्रा में करीब 22 लाख लोग आए थे, वो आपदा के बाद 2014 में घटकर पौने 3 लाख रह गए. इसी तरह, 2019 में यात्रियों की संख्या 32 लाख तक पहुंच चुकी थी, लेकिन बीते दो सालों में कोविड ने फिर दहशत फैलाने का काम किया.
चार धाम यात्रा पर अब बारिश का साया
2020 में चारधाम में जहां करीब 3 लाख 20 हज़ार यात्री पहुंचे, वहीं इस साल काफी देर यानी 18 सितंबर से शुरू हुई यात्रा में 16 अक्टूबर यानी अलर्ट के एक दिन पहले तक 1 लाख 55 हज़ार यात्री ही पहुंचे. गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ यात्रा में अब करीब 15 दिन का वक्त बचा है और बद्रीनाथ के कपाट 20 नवंबर को बंद होंगे. ऐसे में, पहले से ही धीमी चल रही यात्रा के बीच दो से तीन दिनों की भारी बारिश ने सबको डरा दिया है.
एक अलर्ट से हलक में आ जाती है जान!
केदारनाथ आपदा के बाद खौफ का आलम यह हो गया है कि बारिश का एक भी अलर्ट सबकी चिंता बढ़ा देता है. इसी साल फरवरी में तपोवन और अब अक्टूबर में नैनीताल में तबाही ने चिंता और बढ़ा दी है. इस तरह की घटनाओं का असर सीधे चार धाम यात्रा पर पड़ता है. इधर, विपक्ष का आरोप यह भी है कि चारधाम यात्रा में अव्यवस्थाओं से देश भर में अच्छा संदेश नहीं जा रहा है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड में भारी बारिश के दौरान कई तीर्थ यात्रियों के फंसने और दुर्घटनाग्रस्त होने के समाचार और वीडियो आ चुके हैं. रास्ते बंद रहने और व्यवस्थाओं के प्रभावित होने के संबंध में भी लगातार अपडेट्स आए इसलिए दो से तीन दिनों की भारी बारिश के बाद एक बार फिर चार धाम यात्रियों के बीच दहशत का आलम है. अब गिने चुने बचे यात्रा के दिनों में कितने श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे, इसे लेकर स्थानीय लोग और व्यवसायी चिंतित हैं.