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अंधेरे में डूबने वाली है पूरी दुनिया, लेबनान में बिजली कटी, चीनी फैक्ट्रियां बंद, यूरोप में महंगी मिल रही गैस The whole world is going to drown in darkness, power cut in Lebanon, Chinese factories closed, gas is getting expensive in Europe

नई दिल्ली. भारत में कोयले की सप्लाई में कमी (Coal Crisis) के चलते ब्लैक आउट का खतरा बना हुआ है. जरूरत के मुताबिक पावर प्लांट को कोयला नहीं मिल रहा है. कई राज्यों ने मौजूदा हालात को लेकर चिंता जताई है. इससे पहले चीन (China) में भी कई प्रांतों में बिजली संकट की वजह से प्रभावित हो चुके हैं. कई घंटों तक बिजली कटौती की जा रही है. अब आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में पूरी दुनिया में बिजली संकट (Global energy crisis) गहरा सकता है

लेबनान बिजली न होने के कारण अंधेरे में डूब गया है. वहीं, यूरोप में प्राकृतिक गैस के लिए लोगों को बहुत ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. मौसम की वजह से वैश्विक ऊर्जा की कमी और मांग में फिर से बढ़ोतरी बढ़ती जा रही है. इसने सर्दियों से पहले मुसीबत बढ़ा दी है. इससे कई देशों के अंधेरे में डूबने का खतरा मंडराने लगा है.

 

भारत के सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के थर्मल बिजली संयंत्रों में अब कुछ ही दिनों का कोयला बचा है. यूपी के कई पावर प्‍लांट को कोयले की कमी के कारण तो बंद कर दिया गए है. उधर, अमेरिका में शुक्रवार को एक गैलन गैसोलिन के लिए कीमत 3.25 डॉलर पहुंच गई. यूरोप में प्राकृतिक गैस अब तेल के संदर्भ में 230 डॉलर प्रति बैरल के बराबर कारोबर कर रही है.कीमतें सितंबर की शुरुआत से 130% से अधिक बढ़ चुकी हैं. पिछले साल इस समय की तुलना में कीमतों में आठ गुना तक वृद्धि हो चुकी है. पूर्वी एशिया में सितंबर की शुरुआत से प्राकृतिक गैस की कीमतों में 85% का इजाफा हो गया है. दरअसल, कोरोना काल के बाद अब जब दुनिया की अर्थव्‍यवस्‍था एक बार फिर से चल निकली है तब अचानक से ऊर्जा संकट सप्‍लाई चेन पर संकट खड़ा हो गया.

सर्दियों में बढ़ेगा संकट
वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के ऊर्जा और भू-राजनीति विशेषज्ञ निकोस त्साफोस ने कहा, “सबसे ज्यादा इस बात का डर है कि इस बार सर्दियां कैसी होने वाली हैं. उन्होंने कहा कि लोगों के बीच चिंता की वजह से बाजार आपूर्ति और मांग के मूल सिद्धांतों से अलग हो गया है. प्राकृतिक गैस के स्टॉक को बरकरार रखने की वजह से कोयले और तेल की कीमतों में वृद्धि हुई है.”

 

क्या हो रहा है ये संकट
विशेषज्ञों का कहना है कि इस ऊर्जा संकट के पीछे कई कारक जिम्‍मेदार हैं. इसमें मुख्‍य रूप से कोरोना के बाद दुनिया में अचानक से आई आर्थिक तेजी जिम्‍मेदार है, वह भी तब जब पिछले 18 महीने में जीवाश्‍म ईंधन को निकालने की दिशा में विभिन्‍न देशों ने बहुत कम काम किया है. आमतौर पर भीषण ठंड की वजह से यूरोप में ऊर्जा के भंडार लगभग खत्‍म हो जाते हैं. यही नहीं कई चक्रवाती तूफानों ने खाड़ी देशों की तेल रिफाइनरी को बंद कर दिया.चीन और ऑस्‍ट्रेलिया के तनावपूर्ण संबंध और समुद्र में कम हवा चलने से भी दुनियाभर में ऊर्जा संकट गहरा गया है. वहीं, तरल प्राकृतिक गैस के लिए चीन की बढ़ती भूख ने भी मुसीबत को बढ़ा दिया. ऊर्जा संकट को एलएनजी के जरिये सुलझाया जा सकता था, लेकिन चीन में इसकी मांग बढ़ गई है. वहीं, रूसी गैस निर्यात में गिरावट और असामान्य रूप से शांत हवाओं ने समस्या को और बढ़ा दिया है.

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