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जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गुंडरदेही-बालोद मुख्य मार्ग पर ग्राम झींका (सिकोसा) में नवरात्र में देवी-देवताओं के बजाय परेतिन दाई (डायन देवी) की पूजा अर्चना की जाती है। नवरात्र पर ज्योति कलश भी प्रज्जवलित किए हैं। 5 साल से यहां माता दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित नहीं हुई है। पहले प्रतिमा स्थापित होती थी। यहां बरसों पुरानी परेतिन दाई के मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी हुई है।
जो वर्तमान में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। दरअसल यहां देवी-देवताओं से ज्यादा परेतिन दाई को महत्व दिया जाता है। जिसे गांव वाले खुद स्वीकार करते हैं, कि हम परेतिन दाई को मानते हैं और राेज पूजा पाठ करते हैं। ग्रामीण कहते हैं, यह पुरखों के समय का मंदिर है। ग्रामीणों की अपनी मान्यता है। मंदिर के बगल से रोड में रोजाना गुजरने वाले लोग यहां कुछ न कुछ चढ़ाते हैं, और दर्शन कर आगे बढ़ते हैं।
कोई अगर गाड़ी में रेत भरा है तो रेत चढ़ाता है। इसी तरह गिट्टी, ईंट, मुरुम, सब्जी यह सब यहां चढ़ाते हैं। चढ़े सामान को मंदिर में होने वाले विकास कार्यों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा गौरी-गौरा-चौरा व देव स्थल के लिए भी उपयोग होता है। अब तक गांव में बनाए गए 3 से 4 मंदिरों में अभी तक सभी चढ़ाए गए सामानों का ही उपयोग किया गया है।
150 साल से चली आ रही परंपरा: गांव में देवी के रूप में सिर्फ परेतिन दाई की ही होती है पूजा
ग्राम प्रमुख ने कहा- नीम के पेड़ म देवी समाय हाबे
लोगों की आस्था, मान्यताओं की सच्चाई जानने जब भास्कर टीम इस गांव में पहुंची। गांव प्रमुख रोम लाल सिन्हा ने ठेठ छत्तीसगढ़ी में कहा कि ये मूर्ति ह 150 बरस ले ज्यादा पुराना हो गे हाबे, हमर पुरखा के समय के माने जाथे, मंदिर ल बाद में बनाए हे। मंदिर के बगल म नीम के पेड़ हाबे इहिमे देवी समाय हवे, मंदिर के स्थापना ला बाद में करें हवन।
पहली सिर्फ नीम पेड़ के ही पूजा करत रेहे हन, गांव भर के मन हा देवी देवता के रूप में माने पेड़ ला जो भी चढ़ावा रहे तेला पेड़ कना रख देवन। धीरे-धीरे गांव म परेतिन दाई के मान्यता बढ़ते गिस येमा चढ़ाए गए ईंट, गिट्टी, रेत, आदि समान ले मंदिर ला बनाएं अउ स्थापना करे हन। गांव म कोन्हों जगह देवी नहीं रखे हवे।
सब्जी को भी चढ़ाकर ही आगे बढ़ते हैं किसान
ओमप्रकाश सिन्हा ने बताया कि बाड़ियों से सब्जियां मंडी ले जाते वक्त सब्जी को भी चढ़ाकर आगे की ओर बढ़ते हैं। यदि नहीं चढ़ाकर आगे बढ़तेे हैं तो गाड़ी में खराबी आ जाती है। ऐसा कई बार हो चुका है।
मंदिर में नहीं चढ़ाने पर दूध हो जाता है खराब
राजकुमार ठाकुर ने बताया प्रति दिन गांव के चरवाहा (राउत) दूध दुह कर ले जाते हैं तो रोजाना यह मंदिर में चढ़ा कर ही आगे की ओर बढ़ते हैं। ऐसी मान्यता है कि नहीं चढ़ाने पर ले जाते वक्त दूध खराब हो जाता है।
गाड़ी म जो सामान रथे, ओला चढ़ा के दर्शन करथे
गुमान नागवंशी ने बताया एति ले आवत जावत बड़े गाड़ी माल वाहन जैसे मन कुछ भी समान ले जावत रथे त गुजरत समय रोक के परेतिन दाई के दर्शन करथे अउ गाड़ी में जो सामान रथे, ओला चढ़ाथे।
73 मनोकामना ज्योति कलश की स्थापना की गई
नवरात्र पर 73 ज्योति कलश की स्थापना हुई है। मनोकामना पूर्ति के लिए इस साल ज्योति कलश को सिर्फ झींका गांव के ही लोग जलाए हैं। 2020 में कोरोनाकाल के चलते मंदिर में एक भी ज्योत नहीं जलाई गई थी।