Scientists said that there is no tabligi jaamat is responsible for the spread of corona in india | वैज्ञानिको ने कहा देश में कोरोना बढ़ने के मामलों के जिम्मेदार तब्लीगी नहीं, सरकार जारी करे डेटा | nation – News in Hindi


निजामुद्दीन मरकज की सांकेतिक तस्वीर
ISRC ने स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज़ का भी हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि ‘कोविड -19 के प्रसार के लिए किसी समुदाय या क्षेत्र को जिम्मेदार ना ठहराएं.’
स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में संकेत दिया था कि भारत के एक तिहाई कोरोना मामलों को जमात घटना से जोड़ा जा सकता है. कुल संख्या के बीच जमात घटना से जुड़े मामलों को उजागर करने वाले सरकार के बयानों ने सोशल मीडिया पर हैशटैग ‘कोरोनाजहद’ सहित मुस्लिम विरोधी टिप्पणी शुरू कर दी थी, एक वेबसाइट ने पोस्ट किया था कि तब्लीगी जमात घटना ‘कोरोनोवायरस बम’ में बदल गई थी.
ISRC ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के बयान को नस्लीय, धार्मिक या जातीय रेखाओं पर मामलों को प्रोफाइल नहीं करने का हवाला देते हुए कहा, ‘हम महामारी के सांप्रदायिकरण के किसी भी प्रयास की कड़ी निंदा करते हैं.’
केंद्र और राज्य सरकारों को प्रशासनिक कदम उठाने चाहिएISRC ने स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेज़ का भी हवाला दिया है जिसमें कहा गया है कि ‘कोविड -19 के प्रसार के लिए किसी समुदाय या क्षेत्र को जिम्मेदार ना ठहराएं.’ कोरोना के संकट के बीच तब्लीगी जमात ने इस आयोजन को रद्द नहीं किया था जिस पर ISRC ने कहा, केंद्र और राज्य सरकारों को प्रशासनिक कदम उठाने चाहिए.
आईएसआरसी ने कहा कि यह (तब्लीगी जमात) एक ‘पूर्व-स्वीकृत कार्यक्रम था और सरकार के लोग इस बात से वाकिफ थे कि संक्रमित देशों के विदेशी भाग लेंगे.’ ISRC ने कहा कि सरकार ने इस कार्यक्रम के उपस्थित लोगों और उनके संपर्कों के बीच कितने टेस्ट किए थे, इस बारे में डेटा जारी नहीं किया है. ऐसे में हम नहीं जानते कि इस मामले में पॉजिटिव पाए जाने वाले टेस्ट्स का असर सामान्य आबादी पर टेस्ट की तुलना में कैसे होता है,’ ISRC ने मांग की है कि सरकार इस बाबत डेटा जारी करे.’
‘इस प्रकार काफी कम हो सकता है’ असर
ISRC ने कहा कि देश भर में कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों की संख्या अब तक पुष्टि की गई संख्या से कहीं अधिक बड़ी है. आईएसआरसी ने कहा कि अखिल भारतीय संख्या की वृद्धि दर पर दिल्ली की घटना का प्रभाव स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताई गई संख्या की तुलना में ‘इस प्रकार काफी कम हो सकता है’.
मेडिकल रिसर्चर्स ने बताया है कि 36 जिलों में वायरस के सामुदायिक ट्रांसमिशन के लिए सबूत के साथ गुरुवार को जारी एक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान अध्ययन यह बताता है कि संक्रमण के अनुमान की तुलना में अधिक व्यापक होने की संभावना है.
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First published: April 11, 2020, 12:56 PM IST