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देश में उर्वरक की अचानक बढ़ी मांग! रेलवे ने बढ़ाए मालगाड़ियों के रेक, जानें खाद आपूर्ति की तैयारी के बारे में सबकुछ Sudden increased demand for fertilizers in the country! Railways increased the rakes of goods trains, know everything about the preparation of manure supply

नई दिल्‍ली. भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने उर्वरक की सप्लाई के लिए मालगाड़ियों (Goods Trains) के रेक बढ़ा दिए हैं. देशभर में उर्वरक की अचानक बढ़ी मांग (Fertilizers Demand Increased) की वजह से यह फैसला लिया गया है. अब उर्वरक की ढुलाई 40 की जगह 60 मालगाड़ियों से की जाएगी. हालांकि, पिछले साल की तुलना में घरेलू उर्वरक की ढुलाई बढ़ी है. अक्टूबर 2021 में रेलवे ने 39 रेक घरेलू उर्वरक की हर रोज ढुलाई की है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 36 रेक था. रेलवे की तरफ से सोमवार को 1,838 वैगन उर्वरक की ढुलाई की गई है, जबकि पिछले साल 25 अक्‍टूबर को यह आंकड़ा 1,575 वैगन था.देश में इस बार आयातित उर्वरक की ढुलाई में कमी आई है. दरअसल, दुनियाभर में उर्वरक की कीमतों में इजाफा हुआ है. दूसरी तरफ, दुनियाभर में कोविड लॉकडाउन से मिली छूट के बाद कई चीजों की मांग बढ़ी है और कंटेनर की कमी आ गई है. कई बड़े बंदरगाहों पर शिप के लिए वेटिंग टाइम बढ़ गया है. इन वजहों से आयात किए जाने वाले उर्वरक की सप्लाई पर असर पड़ा है. भारत 4.2 करोड़ मीट्रिक टन उर्वरक तैयार करता है, जबकि 1.4 करोड़ मीट्रिक टन उर्वरक आयात करता है. भारत घरेलू उर्वरक में सबसे ज़्यादा 3.8 करोड़ टन यूरिया और काम्प्लेक्स फर्टीलाइजर का उत्पादन करता है. इसका उत्पादन नेचुरल गैस की उपलब्धता और आयात किए जाने वाले कच्चे माल पर निर्भर रहता है.उत्‍पादन-खपत को लेकर दो बार होती है बैठक
भारत में डिपार्टमेंट ऑफ फर्टिलाइजर हर साल उत्‍पादन और खपत को लेकर योजना बनाता है. इसमें कृषि मंत्रालय बताता है कि अलग-अलग उर्वरक और खाद की कितनी मांग है. इस पूरी प्लानिंग में राज्य सरकारें, फर्टिलाइजर कंपनियां और रेलवे शामिल होता है. इसकी प्लानिंग के लिए साल में रवि और खरीफ फसलों के लिए दो बार बैठक होती है. रेलवे ही मूल रूप से देशभर में फर्टीलाइजर्स ट्रांसपोर्ट करता है. वो हर महीने के लिए फर्टीलाइजर्स मूवमेंट प्लान बनाता है और राज्यों तक पहुंचाता है. फिर इसे जिला स्तर पर भेजा जाता है.अचानक क्‍यों बढ़ती है उर्वरक की मांग?
भारत में यूरिया और डीएपी (DAP) के दाम निश्चित होते हैं. इसलिए किसान ठीक जरूरत के समय इसे खरीदते हैं. उर्वरक का उत्पादन करने वाली कंपनियों के सामने समस्या ये होती है कि वो लाखों टन उर्वरक तैयार कर अपने पास नहीं रख सकतीं. ऐसे में इसे लगातार बाजार तक पहुंचाया जाता है. जब इसकी मांग अचानक बढ़ जाती है तो समस्या शुरू हो जाती है. किसान पहले से खरीदारी इसलिए नहीं करते कि उन्हें पता है कि इसकी कीमत नहीं बढ़ने वाली.बारिश की वजह से बढ़ी उर्वरक की मांग
सूत्रों के मुताबिक, पिछले साल लॉकडाउन की वजह से उर्वरक की मांग कम थी. इस साल अच्छी बारिश की वजह से भी ज्यादा पैदावार की संभावना है. इसने उर्वरक की मांग बढ़ा दी है. वहीं, सितंबर-अक्टूबर 2021 में कोयले की कमी के कारण भी रेलवे पर ज्‍यादा दबाव था. इस दौरान कोयले की ढुलाई युद्धस्तर पर की गई. उम्मीद है कि उर्वरक की ढुलाई भी अब इसी तरह शुरू की जाएगी ताकि मांग और आपूर्ति के अंतर को खत्‍म किया जा सके.

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