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तालिबान राज में 150% बढ़ी मानव तस्करी, अफगानिस्तान से भागने के लिए इन रास्तों का हो रहा इस्तेमाल Human trafficking increased by 150% under Taliban rule, these routes are being used to escape from Afghanistan

काबुल. अफगानिस्तान(Afghanistan) में तालिबान (Taliban) के आते ही एक बार फिर अवैध गतिविधियां तेजी से बढ़ रही हैं. अफगानिस्तान से ब्रिटेन (UK) भागने के लिए इन दिनों पांच चरण वाला अवैध मार्ग खूब इस्तेमाल हो रहा है. इसके जरिए तस्कर मोटी कमाई भी कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के बाद से मानव तस्करों (Human Traffickers) के व्यापार में 150 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. तस्कर इन रास्तों को सुविधाजनक बनाने के लिए हजारो पाउंड वसूल रहे हैं.तालिबान के चल रहे तलाशी अभियानों के डर और उसकी आशंकाओं के बीच पूर्व ब्रिटिश सैन्य अनुवादक इस मार्ग को अपना रहे हैं. रिपोर्ट ने उनमें से कुछ का इंटरव्यू लिया जो रास्ते में अटके पड़े हैं और अपने अगले कदम की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

 

रिपोर्ट के अनुसार, किसी तरह की साजिश रचने के लिए तस्कर व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते हैं. इसी ऐप पर यात्रा की अच्छी व्यवस्था देने के लिए बातचीत होती है. वहीं यात्रा से जुडे़ अलग-अलग चरणों के प्रबंधन का काम भी तस्करों की अलग-अलग टीमें करती हैं. भागने के रास्ते का पहला चरण या तो पाकिस्तान या अफगानिस्तान से शुरू होता है. अगर कोई अफगानिस्तान से भाग रहा है, तो इस रास्ते में पहाड़ों से गुजरना होगा. अगर पाकिस्तान का रास्ता लो तो रेगिस्तान पार करना पड़ता है.पाकिस्तान से तुर्की तक कराते हैं हवाई यात्रा
भागने के दूसरे चरण में लोग पाकिस्तान से तुर्की तक हवाई सफर कर सकते हैं, लेकिन इसमें वीजा पर आया खर्च भी शामिल होता है. एक दूसरा विकल्प अफगानिस्तान से ईरान जाना और फिर ईरान के सड़क के रास्ते से तुर्की जाना है. इसके अगले चरण में लोगों को तुर्की से यूरोप भेजा जाता है. इसमें बोस्निया पहला पड़ाव होता है और लोगों को जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम या नीदरलैंड जैसे देशों में से किसी एक में जाने को कहा जाता है. रास्ते से जिन लोगों को भगाया जाता है, उन्हें तस्कर गेस्ट यानी अतिथि कहते हैं.तस्करों की मदद क्यों लेते हैं लोग?
हर एक चरण में काफी समय और पैसा लगता है. इसलिए तस्कर ही लोगों के लिए एकमात्र विकल्प होते हैं क्योंकि इससे उन्हें किसी कारणवश स्थानांतरित किए जाने का डर नहीं रहता. ट्रांस्लेटर के तौर पर ब्रिटिश सेना की मदद करने वाले एक शख्स ने कहा, ‘मेरे पास भागने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था क्योंकि मैं तालिबान के निशाने पर हूं. यह काफी खतरनाक है लेकिन यह छिपकर जिंदगी बिताने से कम खतरनाक है.’ लोगों ने बताया कि तस्कर काफी प्रोफेश्नल हैं और एक सेना की तरह काम करते हैं.

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