स्वास्थ्य/ शिक्षा

बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज

शरीर में दर्द कई स्वास्थ्य स्थितियों का एक सामान्य-सा लक्षण है। फ्लू, लंबे समय तक खड़े रहने, चलने, या व्यायाम करने से भी आपके रोजमर्रा के जीवन में हाथ-पैर में दर्द हो सकता है। शरीर के दर्द से राहत पाने के लिए आपको घर पर आराम और कुछ उपचार की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे में बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज कारगर साबित होता है।

बदन दर्द के आयुर्वेदिक उपचार से शरीर में दर्द के लक्षणों से छुटकारा पाया जा सकता है। आज हम “श्री मंदिर” के इस लेख में बताएंगे बदन-दर्द का आयुर्वेदिक इलाज। तो आइए जानते है।

लक्षण

यदि शरीर में दर्द किसी मेडिकल कंडीशन के कारण होता है, तो व्यक्ति अन्य लक्षणों का भी अनुभव कर सकता है। अन्य संकेतों को पहचानने से किसी व्यक्ति को कारण की पहचान करने और यह तय करने में मदद मिल सकती है कि उन्हें डॉक्टर को दिखाना चाहिए या नहीं। बदन-दर्द होने के कुछ सामान्य लक्षण हैं।

  • शरीर के एक विशिष्ट हिस्से में दर्द
  • दुर्बलता
  • थकान
  • शरीर के तापमान में बदलाव या परिवर्तन
  • ठंड और फ्लू जैसे लक्षण

बदन दर्द के कारण क्या हैं?

अक्सर लोगों को सो कर उठने के बाद शरीर में दर्द होता है जिसके पीछे निम्न कारण हो सकता हैं।

स्ट्रेस,डिहाइड्रेशन, कोल्ड या फ्लू, विटामिन-डी की कमी, निमोनिया, क्रोनिक फटीग सिंड्रोम, अर्थराइटिस आदि। इन सब कारणों से बदन दर्द हो सकता है।

बदन दर्द का थेरिपी से इलाज

स्नेहन

कई तरह की जड़ी-बूटियों से बने तेल का इस्तेमाल शरीर की मालिश करके दर्द को कम करने में की जाती है। स्नेहन से अमा को समाप्त किया जाता है। बदन दर्द का आयुर्वेदिक इलाज करने के लिए स्नेहन सबसे अधिक प्रभावी माना गया है। यह वात को शांत करके मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द का इलाज करता है। इससे ब्लड सर्क्युलेशन भी सुधरता है।

विरेचन

विरेचन आयुर्वेदिक थेरिपी से शरीर में बढ़े हुए पित्त और अमा को संतुलित किया जाता है। यह बुखार और गठिया के कारण शरीर में होने वाले दर्द के उपचार के लिए प्रभावी माना जाता है। अस्थमा, त्वचा रोग, क्रोनिक पीलिया, पेट दर्द और अन्य पित्त प्रधान रोगों के उपचार में भी विरेचन थेरिपी मददगार होता है।

वमन

उल्टी के माध्यम से कफ और पित्त दोषों को संतुलित किया जाता है। इससे बॉडी में मौजूद टॉक्सिन्स शरीर से बाहर निकलते हैं। इससे बदन दर्द के आम कारणों से निपटने में आराम मिलता है। दमा और अन्य स्थितियों के इलाज में भी वमन आयुर्वेदिक थेरिपी का प्रयोग किया जाता है।

रक्तमोक्षण

आयुर्वेद में शरीर से अशुद्ध ब्लड को हटाने की प्रक्रिया रक्तमोक्षण कहलाती है। इससे बॉडी टॉक्सिन्स और अशुद्ध रक्त बाहर निकलते हैं। इस रक्तमोक्षण आयुर्वेदिक थेरिपी से वात और पित्त रोगों जैसे सिरदर्द और गाउट के कारण हुआ बॉडी पेन कम करने में मदद मिलती है।

बदन दर्द का आयुर्वेदिक उपचार

1. हल्दी दूध

हल्दी हमारी सेहत के लिए हर तरह से फायदेमंद है और इसमें पाए जाने वाले एंटी-ऑक्सीडेंट आपकी सेहत के लिए हर तरीके से सेहतमंद होती है। ऐसे में आप हल्दी पाउडर को आप गर्म दूध में डालकर इस्तेमाल करें। इसका सेवन करने से आपके शरीर का दर्द और कंधे को दर्द को बहुत हद तक कम कर देता है और ये आपके लिए कई तरह से मददगार होता है।

2. लैवेंडर

लैवेंडर जहां आपको कई सारे फायदे होते हैं, वहीं ये आपकी बॉडी को भी बहुत फायदा पहुंचाता है। लैवेंडर में ऐसे तत्व पाए जाते हैं। जो दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। लैवेंडर के तेल की मालिश करने से शरीर का दर्द कम किया जा सकता है। इसका इस्तेमाल आप नहाने के समय पानी में डालकर भी कर सकते हैं।

3. अदरक

अदरक ना केवल आपकी सेहत को अच्छा करता है बल्कि ये आपकी बॉडी को भी काफी हद तक आराम दिलाता है। दरअसल अदरक में एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण पाए जाते हैं। जो दर्द और सूजन के लिए लाभदायक माने जाते हैं। अदरक को शरीर के दर्द से छुटकारा दिलाने में असरदार माना जाता है। शरीर के दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप अदरक की चाय का सेवन कर सकते हैं।

4. नमक

नमक में कई सारे मैग्नीशियम सल्फेट पाए जाते हैं, माना जाता है कि शरीर के बाहरी भाग के नमक दर्द औऱ सूजन को कम करने में मदद कर सकता है। जिस स्थान पर सूजन और दर्द हो उस जगह नमक पानी की सेंक करने से दर्द और सूजन में आराम मिल सकता है।

नोट – अगर आपको काफी लंबे समय से बदन दर्द है तो जल्द से जल्द डॉक्टर की परामर्श लें।

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