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दिल्ली HC का बड़ा फैसला, कहा- लिव-इन रिलेशनशिप में महिला पार्टनर खर्च करे तब भी आपराधिक मामला नहीं बनता Big decision of Delhi HC, said – even if female partner spends in live-in relationship, no criminal case is made

नई दिल्ली. लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में रहने वाले जोड़े की महिला यदि खर्च वहन करती है तो वह अपराध (Criminal Offence) नहीं होगा. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा,’ ऐसा नहीं है कि लिव-इन रिलेनशिप में रह रहे जोड़े में से केवल एक पार्टनर ही खर्च वहन करने के लिए बाध्य है. यदि दोनों मिलकर खर्च उठाते हैं या महिला ही खर्च करती है तो उसे अपराध नहीं कहा जाएगा. वहीं, लड़की द्वारा लगाए गए मारपीट के आरोपों को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है

न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने यह टिप्पणी लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही महिला की ओर से दायर बलात्कार के मामले में याचिकाकर्ता पुरुष साथी की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए की. महिला ने यह भी आरोप लगाए थे कि उसके लिव-इन साथी ने उसे दबाव में रखकर 1,25,000 रुपये खर्च कराए थे, जो आपराधिक मामला बनता है.

 

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, ‘लिव-इन रिलेशनशिप, जहां दोनों पार्टनर साथ रह रहे हों, ऐसा नहीं है कि एक पार्टनर ही खर्च वहन करेगा बल्कि यदि महिला पार्टनर या दोनों मिलकर खर्च वहन करते हैं तो भी वह आपराधिक मामला नहीं बनता.’

 

जानें क्‍या है पूरा मामला
गौरतलब है कि महिला नौकरी की तलाश में दिल्ली आई थी, जहां उसकी मुलाकात याचिकाकर्ता से हुई. यह आरोप लगाया गया था कि याचिकाकर्ता ने महिला पार्टनर पर दबाव डालकर उसके माता-पिता को शादी के लिए राजी कराने को कहा था. बाद में महिला के माता-पिता अगस्त 2019 में शादी के लिए राजी हो गये थे. लड़की ने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उससे शारीरिक संबंध बनाए थे. जब भी वह मना करती थी, तो याचिकाकर्ता उसे प्रताड़ित करता था. उसने यह भी कहा था कि उसने ही 1,25,000 रुपये खर्च वहन किये थे. बाद में यह राशि दोनों पक्षों के बीच करार के तहत लौटा दी गयी थी. उसके बाद बलात्कार के आरोप के तहत यह प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी.

लड़की के साथ मारपीट के आरोपों पर कोर्ट ने कहा कि न तो ऐसी कोई शिकायत लड़की ने की थी, न कोई एमएलसी ही उपलब्ध है, जिससे पता चले कि याचिकाकर्ता मारपीट करता रहता था. इसके साथ ही कोर्ट ने 25,000 रुपये के बेल बॉण्ड भरने की शर्त पर याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत दे दी.

 

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