छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

छोटे कद की लंबी छलांग,दिव्यांग होने के बाद भी हौसला नही हुआ कम: Long jump of small stature, even after being handicapped, the courage did not decrease

-शासन की योजनाओं का लाभ लेकर,लोन पटाने के साथ ही व्यतित कर रहा है सूखी जीवन

दुर्ग। भले ही बौने आम लोगों से कद में छोटे होते हैं लेकिन उन्हें प्रतिभा के मामले में किसी का मुंह नहीं देखना पड़ता। देवेंद्र कुमार यादव जो कि रानी लक्ष्मीबाई चौक केलाबाड़ी दुर्ग के निवासी हैं ने अपने छोटे कद को अपनी सफलता के बीच आने नहीं दिया। उनका कहना है कि मैं कद में छोटा जरूर हूं लेकिन मेरी अदम्य इच्छाशक्ति ने इसे कभी भी मेरी बाधा नहीं बनने दिया। सामान्यत: देखा गया है कि बौने व्यक्ति को समाज के साथ तथा सामाजिक परिवेश में अपने जीवन यापन करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है परंतु मैं भली-भांति अपनी शारीरिक स्थिति से परिचित था और समाज के साथ कदम मिलाकर कैसे मुझे आगे बढऩा है इसके लिए अवसर की तलाश कर रहा था।

पहले मुझे मालूम नहीं था कि बौने भी दिव्यांग जनों की श्रेणी में आते हैं। मेरे अन्य दिव्यांग दोस्तों से पता चला कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम में संशोधन के बाद 4.10 फीट से कम ऊंचाई वाले व्यस्क को भी दिव्यांग की श्रेणी में लिया गया है। इसके बाद मैंने लोक कल्याण विभाग और जिला अस्पताल में जाकर इससे संबंधित जानकारी प्राप्त की। प्राप्त जानकारी के अनुसार मैंने जिला नि:शक्त पुनर्वास केंद्र में मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराया जिसके पश्चात मेडिकल बोर्ड ने मुझे बौना और 60 प्रतिशत नि:शक्त अस्थि बाधित पाया और मुझे नि:शक्त का प्रमाण पत्र जारी किया। इसके बाद मैंने शासन द्वारा प्रदत ऋण योजनाओं की जानकारी समाज कल्याण विभाग दुर्ग के माध्यम से ली। समाज कल्याण विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों ने मुझे स्वरोजगार स्थापित करने के लिए शासन से संबंधित जानकारियां मुहैया कराई। विभाग के सहयोग से मुझे छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन एवं वित्त विकास निगम द्वारा वर्ष 2018 में किराना दुकान का व्यवसाय शुरू करने के लिए 1 लाख 80 हजार रूपए का ऋण दिया गया। यह मेरे जीवन का एक नया अध्याय था मैंने किराना दुकान व्यवसाय शुरू किया और धीरे-धीरे मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। आज मेरा परिवार सुख में जीवन व्यतीत कर रहा है, कोरोना काल में भी मेरे व्यवसाय में किसी प्रकार की बाधा नहीं आई। जिससे कि शासन द्वारा दिया गये ऋण की किस्तों को मैं आसानी से छुट सका।

मैंने कहीं सुना था कि जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को आशावादी होना चाहिए, यह दुनिया की सबसे अच्छी चीज है, आज इसी आशा की सुनहरी किरण ने मेरे जीवन के अंधकार को उजाले में तब्दील कर दिया। मैं सभी दिव्यांग भाइयों से अपील करता हूं कि जीवन में हतोत्साहित ना हो, शासन द्वारा दिव्यांग जनों के स्वालंबन के लिए समय-समय पर योजनाएं चलती रहती है। उन्हें इन अवसरों का लाभ लेने के लिए बस जागरूक रहने की आवश्यकता है।

Related Articles

Back to top button