कबाड़ के गोरखधंधे से आयकर विभाग से क्यों है अनजान
रोज हो रहा करोड़ों का नगद व्यापार, अवैध कारोबार हो रहे लाल
कबाड़ व्यवसाय के लिए शासन ने कोई स्पष्ट नियम नहीं बनाया है, पर इसके लिए लाइसेंस जरूरी है। नियम के मुताबिक कबाड़ के व्यवसाय के लिए लाइसेंस बना होना चाहिए । शहर की किसी भी कबाड़ की दूकान का जीएसटी पंजीयन नहीं है, सब दुकानें अवैध रूप से चल रही है क्योंकि उनके पास खरीदी-बिक्री की कोई रसीद भी नहीं होती । और यहाँ औद्योगिक क्षेत्र के होने के कारण यहां कबाड़ का बड़ा व्यवसाय कच्चे में किया जाता है । जिसको लेकर जहा शासन प्रशासन को तो नुकसान हो ही रहा है, वही चोरी की घटनायों को लेकर भिलाई इस्पात सयंत्र भी परेशान है !
बिना लाइसेंस और प्रशासन की अनुमति के चलने वाला ये करोड़ों का कारोबार । लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीदकर करोड़ों बना रहे है। सही मायने में देखे तो इन अवैध कारोबारियों ने छोटे बच्चों को भी पैसों का लालच देकर धंधे में लगा दिया है, जिन बच्चों के हाथ में कॉपी पुस्तकें होनी थी उनको इन व्यापारियों ने चोर बनाकर रख दिया है, बच्चे से लेकर कचरा बीनने वाली महिलाएं तक सुबह होने से पहले घर से निकल जाती है और जिसके घर के घेरे में जो मिला बस बोरे में भरे और चलते बने वही छोटे छोटे बच्चे कही किसी के एसी का पाइप काटते नजर आते है ! दुर्ग और राजनांदगांव जिले में कई ऐसे कबाड़ी है जो रोज लाखों का कारोबार कर रहे है ना कोई टैक्स ना कोई हिसाब, वही प्रशासन की साठगाठ कर लाखो का माल राजनांदगांव की फक्ट्रियों में खपाया जा रहा है ! फिर चाहे बिना सत्यापन के साइकिल, मोटरसाइकिल एवं अन्य चोरियों के समान हो, ये व्यापारी उसको बेधड़क खरीद रहे हैं।
जिले में अक्सर सेंट्रिंग प्लेट, सोलर प्लेट, साइकिल व बाइक चोरी की घटनाएं होती रहती हैं । ऐसे ही एक घटना को लेकर बीते दिनों उतई पुलिस ने सेंट्रिंग प्लेट को लेकर कई कबाडियों को चोरी का लोहा खरीदने के जुर्म में सलाखों के पीछे डाल दिया था, दिन-दहाड़े सार्वजनिक स्थानों से साइकिल और बाइक चोरी कर ली जाती हैं । साइकिल चोरी होने पर अमूमन लोग थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते, क्योंकि पुलिस इसे छोटा मामला बताकर ध्यान नहीं देती । बाइक और साइकिल चोरी की रिपोर्ट तो लिखी जाती है, लेकिन अक्सर ये वापस नहीं मिलते । इसका कारण यह है कि चोरी की साइकिल और बाइक के कलपुर्जे को अलग-अलग कर कबाड़ में बेच दिया जाता है। इसके अलावा इस धंधे में लोहे के सामान व घरेलू उपयोग के सामान सहित कई कीमती समान पानी के मोल कबाड़ी अपने दलालों के माध्यम से खरीद कर करोड़ों कमाते है।