गणपति विसर्जन का सही तरीका
जब गणेश चतुर्थी के दिन गणपति विराजमान किए जाते है तो उनका विसर्जन भी किया जाता है। अर्थात् श्री गणेश की विदाई की जाती है। जिन लोगों ने पूरे 10 दिन श्री गणेश को विराजित किया है वे अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन करेंगे। वैसे तो कुछ लोग गणपति विसर्जन उसी दिन करते है, कुछ दो दिन बाद, कुछ पांच दिन बाद, कुछ सात दिन बाद तो कुछ 10 दिन बाद विसर्जित करते है। इस बार 19 सितंबर के दिन अनंत चतुर्दशी है। तो आइए जानते हैं अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त
सुबह का मुहूर्त- 7:39 से लेकर दोपहर 12:14 तक
दिन का मुहूर्त- दोपहर 1:46 से लेकर 3:18 तक
शाम का मुहूर्त- शाम 6:21 से लेकर 10:46 तक
रात का मुहूर्त- रात 1:43 से लेकर 3:11 तक (20 सितंबर)
प्रातः काल मुहूर्त- सुबह 4:40 से लेकर 6:08 बजे तक (20 सितंबर)
गणपति विसर्जन की विधि
सबसे पहले प्रतिदिन की जाने वाली आरती-पूजन-अर्चन करें।
विशेष प्रसाद का भोग लगाएं।
अब श्री गणेश के पवित्र मंत्रों से उनका स्वस्तिवाचन करें।
एक स्वच्छ पाटा लें। उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें। घर की स्त्री उस पर स्वास्तिक बनाएं। उस पर अक्षत रखें। इस पर एक पीला, गुलाबी या लाल सुसज्जित वस्त्र बिछाएं।
इस पर गुलाब की पंखुरियां बिखेरें। साथ में पाटे के चारों कोनों पर चार सुपारी रखें।
अब श्री गणेश को उनके जयघोष के साथ स्थापना वाले स्थान से उठाएं और इस पाटे पर विराजित करें। पाटे पर विराजित करने के उपरांत उनके साथ फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा, 5 मोदक रखें।
एक छोटी लकड़ी लें। उस पर चावल, गेहूं और पंच मेवा और दूर्वा की पोटली बनाकर बांधें। यथाशक्ति दक्षिणा (सिक्के) रखें। मान्यता है कि मार्ग में उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसलिए जैसे पुराने समय में घर से निकलते समय जो भी यात्रा के लिए तैयारी की जाती थी वैसी श्री गणेश के बिदा के समय की जानी चाहिए।
नदी, तालाब या पोखर के किनारे विसर्जन से पूर्व कपूर की आरती पुन: संपन्न करें। श्री गणेश से खुशी-खुशी बिदाई की कामना करें और उनसे धन, सुख, शांति, समृद्धि के साथ मनचाहे आशीर्वाद मांगें। 10 दिन जाने-अनजाने में हुई गलती के लिए क्षमा प्रार्थना भी करें।
श्री गणेश प्रतिमा को फेंकें नहीं उन्हें पूरे आदर और सम्मान के साथ वस्त्र और समस्त सामग्री के साथ धीरे-धीरे बहाएं।
श्री गणेश इको फ्रेंडली हैं तो पुण्य अधिक मिलेगा क्योंकि वे पूरी तरह से पानी में गलकर विलीन हो जाएंगे। आधे अधूरे और टूट-फूट के साथ रूकेंगे नहीं।
अगर विसर्जन घर में ही कर रहे हैं तो गमले को सजाएं, पूजन करें। अंदर स्वास्तिक बनाएं और थोड़ी शुद्ध मिट्टी डालकर मंगल मंत्रोच्चार के साथ गणेश प्रतिमा को बैठाएं। अब गंगा जल डालकर उनका अभिषेक करें। फिर सादा स्वच्छ शुद्ध जल लेकर गमले को पूरा भर दें।
श्री गणेश प्रतिमा गलने लगेगी तब उनमें फूलों के बीज डाल दें।
विसर्जन करते वक्त इन मंत्रों का करें जाप
वक्र तुण्डाय हुं
मेधोल्काय स्वाहा
गं गणपतये नमः
हस्तिपिशचिलिखे स्वाहा
ऊँ ह्रीं गं हस्तिपिशाचिलिखे स्वाहा
ऊँ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा
गणपति विसर्जन के समय ध्यान रखें ये बातें
गणेश जी के विसर्जन में पूजा के साथ कुछ और खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। गणेश जी को हंसी खुशी विदाई दें। इस दौरान काले कपड़े पहन कर न जाएं। किसी खास तरह के नशे आदि का सेवन न करें। विसर्जन के दौरान क्रोध आदि करने से बचें। इतना ही नहीं अपनी वाणी पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रखें। मान्यता है कि जो लोग ऐसी हरकते करते हैं उनसे भगवान गजानन अप्रसन्न हो जाते हैं।
विदा से पूर्व गणपति से करें खास अनुरोध
आदिपूज्य भगवान लंबोदर, व्रकतुंड, विघ्नहर्ता, मंगलमूर्ति जैसे नामों से पुकारे जाने वाले गणेश जी से विसर्जन के पहले हे श्री गणेश अगले साल आप पुन जल्दी आइयेगा ये कहना बिल्कुल ना भूलें। महाराष्ट्र के इस प्रमुख उत्सव में यही बात कुछ इस अंदाज में कही जाती है ‘गणपति बप्पा मोरिया, कुल्चा वर्षि लोखरिया’। शास्त्रों के मुताबिक भी को किसी भी विदाई देते समय उसको दोबारा आने को कहना जरूरी होता है। इससे गणपति अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं। अनजाने में हुई गल्तियों से क्षमा करने के के साथ ही उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं।