सिद्ध शक्तिपीठ जय चंडी मैय्या छत्तीसगढ़ जिला बेमेतरा नेवनारा शक्तिपीठ परिसर के प्रखर युवा प्रवक्ता संगीत विशारद एवं शिक्षा विशारद पं भाई अभिषेक जी ने बताया कि व्यास पीठ की गरिमा क्या होती है

सिद्ध शक्तिपीठ जय चंडी मैय्या छत्तीसगढ़ जिला बेमेतरा नेवनारा शक्तिपीठ परिसर के प्रखर युवा प्रवक्ता संगीत विशारद एवं शिक्षा विशारद पं भाई अभिषेक जी ने बताया कि व्यास पीठ की गरिमा क्या होती है व्यासपीठ सनातन धर्म में सबसे बड़ा पद माना गया है । व्यासपीठ के बाद गुरुपीठ और फिर राजपीठ का स्थान माना जाता है। यानी अगर कथा चल रही है और राजा भी आए तो व्यासपीठ पर बैठा कथा प्रवक्ता कभी राजा के सम्मान में खड़ा नहीं होता राजा व्यासपीठ पर जाकर मत्था टेकता है अगर हिंदुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य भी व्यासपीठ से चल रही कथा में शामिल हों तो उनकी गद्दी भी व्यासपीठ से नीचे लगवाई जाती है। कथावाचक हर दिन व्यासपीठ पर बैठने से पहले व्यासपीठ की पूजा करता है। महर्षि वेदव्यास का स्तवन करता है फिर व्यासपीठ को प्रणाम करता है.. इसके बाद व्यासपीठ पर बैठता है। कुछ कथावाचक इतने विनम्र होते हैं कि वो अपनी कथाओं में व्यासपीठ को ख़ाली छोड़ देते हैं । वो ये मानते हैं कि वेदव्यास इस खाली स्थान पर विराजमान है । वैसे भी वेदव्यास को हनुमान जी की तरह अमर माना जाता है । ऐसे महान कथा प्रवक्ता व्यासपीठ के नीचे एक गुरु गद्दी यानी गुरुपीठ लगाते हैं और उसी पर बैठकर कथावाचन करते है । वो ये विनम्रता और सद्भाव प्रदर्शित करते हैं कि हम भगवान वेदव्यास की तरह विद्वान नहीं हो सकते हैं इसलिए व्यासपीठ पर बैठने की सोच भी नहीं सकते हैं व्यासपीठ सनातन धर्म में सबसे ऊँचा पद है। और सभी को व्यासपीठ की गरिमा को बनाए रखने के लिए संघर्ष करना है व्यास पीठ की महिमाओं का बहुत ही सुन्दर रूपों से वर्णन किया श्री शर्मा ने सिद्ध शक्तिपीठ जय चंडी मैय्या छत्तीसगढ़ जिला बेमेतरा नेवनारा शक्तिपीठ परिसर।।