नारायणपुर जिले में 5 हजार 767 हितग्राहियों को मिला वनाधिकार पट्टाGrand Dahi Handi Festival organized by Shankar Nagar youth companions 5 thousand 767 beneficiaries got forest rights lease in Narayanpur district
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नारायणपुर जिले में 5 हजार 767 हितग्राहियों को मिला वनाधिकार पट्टा
भूमि समतलीकरण एवं मेड़ बंधान की सहायता से खेती-किसानी को मिला बढ़ावा
नारायणपुर, 05 सितम्बर 2021 – अपनी जमीन का मालिकाना हक पाने का सपना हर व्यक्ति का होता है। जब यह सपना पूरा हो जाता है तो खुशी का ठिकाना नहीं रहता। राज्य सरकार द्वारा अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासियों के जल, जंगल एवं जमीन के अधिकार को सुरक्षित रखकर उनके जीवन स्तर को ऊंचा करने की कटिबद्धता के फलस्वरुप जिले में अब तक 5 हजार 767 हितग्राहियों को वनाधिकार पट्टे प्रदाय किया गया है। इन हितग्राहियों को वनाधिकार पट्टे प्रदाय सहित भूमि समतलीकरण एवं मेड़ बंधान के लिए सहायता प्रदान करने के फलस्वरुप खेती-किसानी को बढ़ावा मिला है। वहीं डबरी निर्माण के जरिये हितग्राही मछलीपालन एवं साग-सब्जी उत्पादन कर आय संवृद्धि कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वन निवासी वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत् 13 दिसम्बर 2005 के पूर्व वन भूमि में काबिज हितग्राहियों को वनाधिकार मान्यता पत्र प्रदाय किया जा रहा है। प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सर्वाेच्च प्राथमिकता वनवासियों के अधिकारों की रक्षा एवं वनों का प्रबंधन स्थानीय समुदाय को सौंपने का है। मुख्यमंत्री श्री बघेल की इसी मंशा के अनुरुप जिले में वनाधिकार मान्यता पत्रों के प्रदाय में उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त हुई है। जिले में कुल 4 हजार 920 व्यक्तिगत वनाधिकार मान्यता पत्रों के माध्यम से अधिकार प्रदान किया गया है। व्यक्तिगत वनाधिकार में कृषि भूमि, बाड़ी, आवासीय सुविधा एवं जीवन-यापन को उन्नत करने हेतु अन्य प्रयोजन की भूमि सम्मिलित है।
राज्य सरकार की मंशानुसार जिले में अब तक 847 सामुदायिक वनाधिकार पत्रों का वितरण किया गया है। इसके तहत् गौण वनोत्पाद, जलाशय, चारागाह, जैव विविधता इत्यादि प्रयोजन हेतु भूमि का अधिकार ग्राम सभाओं के माध्यम से वनवासी समुदाय को प्रदान किया गया है। इसके साथ ही वनवासियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण अधिकारों को सुरक्षित एवं संरक्षित करने हेतु अब तक उपेक्षित प्रावधान को प्राथमिकता देने के फलस्वरूप जिले में समुदाय को ग्राम सभाओं के माध्यम से 847 सामुदायिक वन अधिकार पहली बार प्रदान किये गये हैं, जिसके तहत मूल निवासियों को जल, जंगल एवं जमीन के संपूर्ण प्रबंधन उपयोग सहित संरक्षण एवं पुर्नजीवन हेतु संपूर्ण अधिकार पहली बार प्रदान किया गया है।