बिहार में कोरोना के 100 से अधिक एक्टिव केस, 24 घंटे में 11 नए मरीज मिलेUnique initiative of Education Department of Varanasi, the lesson of Happiness will be taught in primary schools Unique initiative of Education Department of Varanasi, the lesson of Happiness will be taught in primary schools
पटना. पूरे देश में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा भले ही मंडरा रहा हो लेकिन बिहार में कोरोना (Bihar Corona Cases) को लेकर हालात फिलहाल काफी सुखद और संतोषजनक हैं. कोरोना काल मे सबसे अधिक मरीजों का दवाब झेल रहे पटना एम्स (Patna AIIMS) को लंबे समय बाद बड़ी राहत मिली है. पटना में एम्स में अब एक भी कोरोना के मरीज इलाजरत नहीं हैं. अस्पताल में भर्ती एक मात्र मरीज अनु केडिया को अस्पताल से डिस्चार्ज किये जाने के बाद सभी 300 बेड खाली हो गए हैं और मरीजों की संख्या शून्य हो गई है.
दूसरी तरफ पटना के आईजीआइएमएस, पीएमसीएच समेत दूसरे निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों की संख्या नहीं के बराबर बची है और संक्रमण के कमी आने के बाद इन सभी अस्पतालों में भी नए मरीज भर्ती होने नहीं आ रहे हैं. फिलहाल हालात सामान्य दिख रहे हैं क्योंकि राज्य में 30 अगस्त मात्र 112 एक्टिव मरीज बचे हैं जिसमें सबसे ज्यादा एक्टिव केस पटना में 19 बचा है. पूरे बिहार में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के 11 मरीज ही सामने आए हैं. स्वास्थ्य विभाग के निर्देश पर फिर से केरल, तमिलनाडु समेत कई राज्यों से आनेवाले लोगों के लिए एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशनों पर कोरोना जांच के लिए मेडिकल टीमों की प्रतिनियुक्ति कर दी गयी है ताकि संक्रमित की पहचान हो सके और नए लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके.
पटना एम्स के लैब पर भी अब दवाब पूरी तरह से कम हो गया है. 29 अगस्त को जहां एम्स में जांच कराने के बाद सभी 4482 सैम्पल की रिपोर्ट निगेटिव आई है वहीं 30 अगस्त को 1 मरीज की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. एम्स पूरी तरह से कोविड डेडिकेटेड अस्प्ताल होने की वजह से शुरू से दवाब झेल रहा था और मरीजों को हाइटेक और बेहतर सुविधा भी रास आ रही थी. दूसरी लहर में भी अप्रैल से जून तक एम्स में भर्ती होने के लिए कई दिनों तक चक्कर लगाना पड़ रहा था और मरीजों के लिए एक भी बेड खाली नहीं थे लेकिन अब स्थिति सामान्य होने के बाद सबसे बड़े कोविड अस्पतालों को बड़ी राहत मिली है.