छत्तीसगढ़

संतान की सुख समृद्धि और दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा निर्जला उपवास उत्साह से की हलषष्ठी पूजा For the happiness, prosperity and longevity of the children, the mothers kept fasting with enthusiasm and performed Halashti Puja.

कमर छठ पर्व की रही धूम

संतान की सुख समृद्धि और दीर्घायु के लिए माताओं ने रखा निर्जला उपवास उत्साह से की हलषष्ठी पूजा।

सगरी जल अर्पित कर मनाया हलषष्ठी का पर्व

देव यादव S S न्यूज़ बेमेतरा

बेमेतरा /नवागढ़/ग्राम जैतपुरी छत्तीसगढ़ का पारंपरिक पर्व कमरछठ को हर्षो उल्लास से मनाया गया अपनी संतानों की लंबी उम्र एवं सुख समृद्धि के लिए सुहागिनों ने हलषष्ठी माता की पूजा अर्चना की इस मौके पर पसहर चावल और छह प्रकार की भाजियों का भोग भी लगाया गया
प्रदेश की परंपरिक कमर छठ पूजा शनिवार को बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया हलषष्टि को लेकर महिलाओं में खास उत्साह देखा गया। इस दिन सभी महिलाओं ने अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा गांवों में सुहागिन महिलाएं तालाब और देव स्थानों में सगरी पूजा की ग्राम जैतपुरी के गोटिया पारा और अन्य मोहल्लों में भी महिलाओं ने कमरछठ की सामूहिक पूजा अर्चना की वृत्ति महिलाओं ने पर्व को लेकर सुबह से ही घर और मंदिरों में सगरी बनाकर इसे बेर, पलास , और पेड़ों की टहनियोंऔर काशी की फूलों से सजाने के बाद दोपहर में विशेष पूजा अर्चना की गई। सगरी के सामने मिट्टी के खिलौने ,शिवलिंग, गौरी गणेश कार्तिकेय नंदी हलषष्ठी माता की प्रतिमा और कलश की स्थापना की इस बीच पुरोहितों ने हलषष्ठी माता की कथा पढ़कर सुनाइए इसके बाद पूजा के बाद नए कपड़ों के टुकड़े को सगरी के जल में डूबा कर बच्चों के कमर पर से छह बार स्पर्श किया गया।
ग्रामीण क्षेत्रों में हलषष्ठी पर्व पर माताओं ने अपने संतानों की दीर्घायु और सफलता के लिए उपवास रखा। जहां सगरी कुंड बना कर हलषष्ठी देवी माता की पूजा अर्चना कर महिलाओं ने कमरछठ(हलषष्ठी) पूजा पर्व को धूमधाम से अपने गांवो में मनाया । इस मौके पर पूजा _अर्चना करवाने वाले पंडितों ने हलषष्ठी पर्व के संबंध में छह अध्यायों के कथा विधिपूर्वक कथा वाचन भी किया गया । ग्राम जैतपुरी सहित अंचल के गांवो में ग्रामीण महिलाएं माताओं ने कमरछठ के मौके पर हलषष्ठी उपवास रहकर कथा सुना और प्रसाद का भी वितरण किया । पूजा अर्चना के बाद माताओं ने अपने बच्चों छह बार स्पर्श किया गया। संतानों को नजर नजर न लगे। इस उद्देश्य से किया जाता है। छत्तीसगढ़ के परंपरा अनुरूप श्रद्धा पूर्वक उपवास रखी मालाओं ने हलषष्ठी पर्व पर भोजन में पसहर चावल छह प्रकार की भाजी की सब्जी दोना- पत्तल में खाना पीतल के बर्तन प्रसाद बनाने की परंपराओं को निर्वहन किया गया। समस्त महिलाओं ने भैंस का दूध भोजन में घी दही का भी उपयोग किया गया। हलषष्ठी पर्व कमरछठ की इस दिन पूजा स्थल में एक साथ सगरी के दो सुंदर गड्ढे खोदे गए थे। इसमें उन सगरी के चारों ओर काशी के फूल और पारस पत्ती, बेर पत्ती और प्रसाद के रूप में नारियल लाई, चना ,और महुआ आदि को पत्तल में रखें गए थे कमर छठ पूजा स्थलों पर माताओं ने भगवान शंकर माता पार्वती भगवान गणेश व कार्तिक के विधि पूर्वक पूजा अर्चना ग्रामीण माताओं ने अपने अपने संतानों की सुख समृद्धि एवं सफलता और दीर्घायु के लिए कामना कर दुआ मांगी गई। कथा के दौरान उपरोहित महराज चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि इस पर्व यह कहानी जुड़ी हुई है कि द्वापर युग में माता देवकी स्वयं यह व्रत रखी थी ।

देव यादव सबका संदेश न्यूज़ रिपोर्टर नवागढ़ बेमेतरा छत्तीसगढ़ 9098647395

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