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कोरोना को मात देने के साल भर बाद भी है सांस लेने में तकलीफ और थकान? जानें वजहNirmala Sitharaman convenes 24th meeting of FSDC on September 3, there will be discussion on economy, financial sector Nirmala Sitharaman convenes 24th meeting of FSDC on September 3, there will be discussion on economy, financial sector

दुनिया भर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के कारण करोड़ों लोग बीमार हुए. बड़ी संख्‍या में लोगों की मौत भी हुई. अधिकांश ऐसे भी लोग हैं, जिन्‍हें कोरोना वायरस संक्रमण (Covid 19) हुए कई महीने या एक साल बीत चुका है. लेकिन उनमें थकान और सांस लेने में तकलीफ की समस्‍या अभी भी है. यह बात एक चीनी शोध में सामने आई है. यह शोध कोविड 19 महामारी (Covid 19) के स्‍वास्‍थ्‍य पर लंबे समय के असर के समझने के लिए हुआ हैयहां आपको इस बारे में बताएगा कि आखिर क्‍यों अधिक लोग कोरोना से ठीक होने के बाद अब भी इसके लक्षणों से ग्रस्‍त हैं…

कितने लोगों को लंबे समय के कोविड लक्षण हैं?
ब्रिटिश जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अस्‍पताल से कोविड 19 का इलाज कराकर छुट्टी पाए करीब आधे लोगों को एक साल बाद भी थकान जैसी समस्‍याएं आ रही हैं. रिसर्च में कहा गया है कि कोविड 19 से ठीक होने के एक साल के बाद भी कई लोगों में सांस लेने की तकलीफ की समस्‍या सामने आ रही है. शोध में यह भी पाया गया है कि अधिकांश लोगों को कोरोना से पूरी तरह ठीक होने में एक साल से अधिक का समय लगा है.

 

क्या इसे लॉन्‍ग कोविड कहा जा सकता है?
अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार कोविड 19 होने के बाद की स्थिति को लॉन्ग कोविड भी कहा जा सकता है. इसमें लोगों को कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद नई या चल रही स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं लंबे समय तक रहती हैं. इसे पोस्ट-एक्यूट कोविड-19 या लॉन्‍ग टर्म कोविड या क्रोनिक कोविड के रूप में भी जाना जाता है.

 

मल्टीऑर्गन या ऑटो इम्यून कंडीशन क्या हैं?
अमेरिका के सीडीसी के अनुसार जिन लोगों को गंभीर कोरोना संक्रमण हुआ है, वे भी इस बीमारी के बाद हफ्तों या महीनों तक लक्षणों के साथ लंबे समय तक मल्टीऑर्गन प्रभाव या ऑटोइम्यून स्थितियों से प्रभावित हो सकते हैं. मल्टीऑर्गन प्रभाव शरीर को सबसे अधिक प्रभावित कर सकते हैं. अगर सभी अंगों को नहीं तो हृदय, फेफड़े, गुर्दे, त्वचा और मस्तिष्क के कार्यों को यह प्रभावित कर सकता है. ज्यादातर बच्चे भी कोरोना संक्रमण के दौरान या उसके तुरंत बाद मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS) से प्रभावित हो सकते हैं.

 

इसके प्रभाव क्या हैं?
यूरोपियन ऑब्जर्वेटरी ऑन हेल्थ सिस्टम्स एंड पॉलिसीज के प्रोफेसर मार्टिन मैकी ने 25 फरवरी, 2021 को कहा था कि लंबे समय तक कोरोना बेहद कमजोर करने वाला हो सकता है और लोगों के जीवन पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव हो सकता है. उनका कहना था, ‘कई लोग काम पर लौटने या सामाजिक जीवन जीने में असमर्थ हैं.

कई लोगों ने बताया है कि यह उनके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है. जैसे ही उन्हें लगता है कि वे बेहतर हो रहे हैं, लक्षण वापस आ जाते हैं. निश्चित रूप से उनके, उनके परिवारों और समाज के लिए इसके महत्वपूर्ण आर्थिक परिणाम हैं.’

 

 

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