छत्तीसगढ़दुर्ग भिलाई

शहर के खाली जमीन पर जमा पानी दे रहा डेंगू को आमंत्रण

नवविकसित कालोनियों में पानी निकासी का इंतजाम नहीं

भिलाई । शहर के आउटर इलाकों पर बने नवविकसित कालोनियों में डेंगू जैसी घातक बीमारी फैलने का खतरा मंडराने लगा है। हाल ही में हुई बारिश के चलते ऐसी कालोनी के रिक्त भूखण्डों पर जमा हो रहे पानी के निकासी को लेेकर इंतजाम नहीं है। उंचाई पर नये मकानों के निर्माण हो जाने के बाद खाली पड़े भूखण्डों की गहराई बारिश के पानी को सहेजने में लग गई है। इसी जमे पानी में मच्छर पैदा करने वाले लार्वा के पनपने की संभावना बढ़ गई है।

भिलाई शहर में पिछले साल डेंगू ने कहर बरपाया था। मच्छरों के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के चलते 45 के करीब लोगों की मौत हो गई थी। इस बार निगम बीएसपी और स्वास्थ्य विभाग की टीम बरिश के दस्तक पड़ते ही सतर्कता बरतने में लगी हुई है। लेकिन आउटर के नवविकसित कालोनियों में बारश के पानी की निकासी व्यवस्था भगवान भरोसे होने से इस बार भी डेंगू फैलने की आशंका से इंकार नहीं किया जा रहा है।

दरअसल नवविकसित कालोनियों में निर्माण के अभाव में अनेक भूखण्ड खाली पड़े हुए हैं। ऐसी खाली भूखण्ड आसपास में मकान बनने के बाद गहरी हो गई है। नालियों का निर्माण आधा-अधूरा होने से बारिश का पानी इन्हीं खुले भूखण्डों पर जमा हो रहा है। हाल के दिनों में हुई बारिश के चलते नवविकसित कालोनियों मे जगह-जगह जमा पानी साफ देखा जा सकता है। ऐसे पानी में मच्छर अपना लार्वा छोड़ सकते हैं। लगातार पानी जमा होने से लार्वा को पनपने का अनुकूल माहौल मिलेगा। फिर यही लार्वा मच्छर में तब्दील होकर वातावरण में फैल जाएंगे। इन मच्छरों में डेंगू और मलेरिया के भी हो सकते हैं। ऐसे में बीमारी फैलने की आशंका सही साबित हो सकती है।

यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि निगम, बीएसपी और स्वास्थ्य विभाग की टीम जमे हुए बारिश के पानी में जले हुए आयल के छिडक़ाव करने के साथ ही इसके लिए आम लोगों को भी प्रेरित कर रही है। लेकिन यह कार्य शहर के सघन बस्तियों और पूरी रह से विकसित कालोनियों में चल रहा है। ऐसे स्थानों पर बारिश के पानी की निकासी हेतु पहले से नाली बनी हुई है। कहीं-कहीं पर पानी जमता भी है तो बारिश कम होने के साथ उतर भी जाता है। लेकिन नवविकसित कालोनियों में जहां या तो नाली बनी ही नहीं और कुछ जगहों पर बनी भी है तो उसके आधे अधूरे होने से पानी निकासी बेहतर नहीं हो पा रही है। ऐसे में इन इलाकों में जमे पानी में लार्वा विनिष्टिकरण पर जोर दिया जाना जरुरी प्रतीत होता है। लेकिन ऐसा नहीं होने से आने वाले दिनों में नवविकसित कालोनियों से होकर डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छर शहर के अंदर की कालोनी और बस्तियों में दस्तक दे सकते हैं।

इन इलाकों में है ज्यादा खतरा

भिलाई शहर तेजी के साथ क्षेत्रफल की दृष्टि से बढ़ता जा रहा है। शहर के दोनों दिशा में नीत नये आवासीय कालोनियों का विस्तार हो रहा है। ऐसी कालोनियां जुनवानी, खम्हरिया, कोहका, कुरुद, रिसाली, मरोदा, रुआबांधा आदि में बन चुकी है या फिर बन रही है। इन कालोनियों में कई ऐसे हैं जहां आधे अधूरे मकान बने हुए है। बिना निर्माण वाले खाली भूखण्ड आसपास के रहासियों के लिए कुड़ेदान बने हुए हैं। ऐसे ही भूखण्डों पर बारिश के दिनों में पानी जमा रहने से मच्छर पैदा हो रहे हैं। भिलाई-3 चरोदा इलाके में पदुम नगर, वसुन्धरा नगर, एकता नगर, विश्व बैंक कालोनी, समता कालोनी, पंचशील नगर, आदर्श नगर आदि कालोनियां है जहां रिक्त भूखण्डों में बारिश का पानी जमा होकर डेंगू और मलेरिया फैलाने वाले मच्छर के लार्वा को पनपने का अनुकूल माहौल प्रदान कर रहा है।

 

देखें सेक्टर 1 साख समिति में चल रहा वर्षों से घोटाला, विडिओ जरुर देखें….

Related Articles

Back to top button