जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन संस्थाओं पर ‘‘महिलाओं का कार्य स्थल लैंगिक उत्पीड़न
दुर्ग /श्री राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में माह अगस्त में चयनित तिथियों पर विभागों के साथ महिलाओं का कार्य स्थल लैंगिक उत्पीड़न ( निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष ) अधिनियम 2013 के विषय पर वर्चुअल माध्यम से विधिक जागरूकता कार्यशाला शिविर आयोजित की जा रही है । संबंधित विषय की जागरूकता कार्यशाला में दुर्ग शासन के चयनित विभिन्न विभाग के अधिकारी कर्मचारी वर्चुअल माध्यम से चयनित विभिन्न तिथियों पर कार्यशाला में जुड़ सकेंगे। इसी कड़ी में श्रीमती मधु तिवारी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीमती नीरु सिंह अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, श्रीमती ममता भोजवानी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने विभिन्न शासकीय विभागो जेैसे श्रम विभाग, शिक्षा विभाग, महिला बाल विकास , आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग एवं अन्य विभागांे से वर्चुअल माध्यम से अधिकारियों को उक्त अधिनियम के अंतर्गत जानकारी साझा करने हुए बताया गया कि यह अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013 को प्रभाव में आया था । जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है । जिन संस्थाओं में दस से अधिक लोग काम करते हैं, उन संस्थाओं पर यह अधिनियम लागू होता है। जिस महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न हुआ है, वह शिकायत कर सकती है। यदि पीड़ित शारीरिक रूप से शिकायत करने में असमर्थ है (उदाहरण के लिए, यदि वह बेहोश है), तो उसके रिश्तेदार या मित्र, उसके सह-कार्यकर्ता, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो घटना के बारे में जानता है और जिसने पीड़ित की सहमति ली है, अथवा राष्ट्रीय या राज्य स्तर के महिला आयोग के अधिकारी शिकायत कर सकते हैं। अगर संस्थान में आंतरिक शिकायत समिति है तो उसमें ही शिकायत करनी चाहिए। ऐसे सभी संगठन या संस्थान जिनमें 10 से अधिक कर्मचारी हैं, आंतरिक शिकायत समिति गठित करने के लिए बाध्य हैं। अगर संगठन ने आंतरिक शिकायत समिति नहीं गठित की है तो पीड़ित को स्थानीय शिकायत समिति में शिकायत दर्ज करानी होगी। शिकायत करते समय घटना को घटे तीन महीने से ज्यादा समय नहीं बीता हो और यदि एक से अधिक घटनाएं हुई है तो आखरी घटना की तारीख से तीन महीने तक का समय पीड़ित के पास है स जाँच के खत्म होने पर यदि समिति आरोपी को यौन उत्पीडन का दोषी पाती है तो समिति नियोक्ता (अथवा कम्पनी या संस्था, आरोपी जिसका कर्मचारी है) को आरोपी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए सुझाव देगी। नियोक्ता अपने नियमों के अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं । यदि आंतरिक समिति को पता चलता है कि किसी महिला ने जान-बूझ कर झूठी शिकायत की है,तो उस पर कार्यवाही की जा सकती है । ऐसी कार्यवाही के तहत महिला को चेतावनी दी जा सकती है, महिला से लिखित माफी माँगी जा सकती है या फिर महिला की पदोन्नति या वेतन वृद्धि रोकी जा सकती है, या महिला को नौकरी से भी निकाला जा सकता है। हालांकि, सिर्फ इसलिए कि पर्याप्त प्रमाण नहीं है, शिकायत को गलत नहीं ठहराया जा सकता, इसके लिए कुछ ठोस सबूत होना चाहिए।