नई दिल्ली

गैस सिलिंडर फटने पर कंपनी देती है 50 लाख का मुआवजा, जानिए कैसे मिलता है क्लेम

सबका संदेश न्यूज़ नई दिल्ली-गैस सिलिंडर लीक होने और फटने के मामले में महिला के मौत के एक मामले में कंज्यूमर कोर्ट ने कंपनी को 10 लाख 46 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया है. साथ ही, इसी हादसे में बुरी तरह जख्मी हुईं दूसरी महिला को 1 लाख 75 हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. LPG यानी रसोई गैस के तौर पर इस्तेमाल होने वाली गैस का इस्तेमाल अब देश की अधिकांश जनता करती है. ऐसे में जरूरी है कि हमें पता हो कि एलपीजी का इस्तेमाल का करते हुए क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और किसी प्रकार की दुर्घटना होने पर क्या किया जाना चाहिए. साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि यदि LPG गैस सिलिंडर फट जाता है या गैस लीक होने की वजह से हादसा हो जाता है तो आपके, एक ग्राहक होने के नाते, क्या अधिकार हैं.
सिलिंडर में लीकेज या ब्लास्ट, जिम्मेदारी डीलर और कंपनी की
यदि सिलिंडर में लीकेज या ब्लास्ट होता है तो इसकी जिम्मेदारी डीलर और कंपनी की है. 16 साल पहले हुए हादसे पर नैशनल कंज्यूमर फोरम ने यह आदेश दिया था और यह अब भी लागू है. नैशनल कंज्यूमर फोरम ने अपने फैसले में कहा था कि मार्केटिंग डिस्प्लिन गाइडलाइंस 2014 फॉर एलपीजी डिस्ट्रिब्यूशन के तहत तय है कि डीलर ने डिफेक्टिव सिलिंडर सप्लाई किया तो वह अपनी जिम्मेदारी शिकायती पर नहीं डाल सकता. गाइडलाइंस कहती हैं कि डीलर डिलिवरी से पहले चेक करे कि सिलिंडर बिल्कुल ठीक है या नहीं.
हर LPG सिलेंडर पर होता है 50 लाख का बीमा, जानिए-कैसे मिलता है क्लेम!
के मुताबिक जैसे ही कोई व्यक्ति एलपीजी कनेक्शन लेता है तो उसे मिले सिलेंडर से यदि उसके घर में कोई दुर्घटना होती है तो वह व्यक्ति 50 लाख रुपये तक के बीमा का हकदार हो जाता है.
एक दुर्घटना पर अधिकतम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा मिल सकता है. दुर्घटना से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति को अधिकतम 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति दी जा सकती है

एलपीजी सिलेंडर के बीमा कवर पाने के लिए ग्राहक को दुर्घटना होने की तुरंत सूचना नजदीकी पुलिस स्टेशन और अपने एलपीजी वितरक को देनी होती है.
पीएसयू ऑयल विपणन कंपनियों जैसे इंडियन ऑयल, एचपीसी तथा बीपीसी के वितरकों को व्यक्तियों और संपत्तियों के लिए तीसरी पार्टी बीमा कवर सहित दुर्घटनाओं के लिए बीमा पॉलिसी लेनी होती है.
>> ये किसी व्यक्तिगत ग्राहक के नाम से नहीं होतीं बल्कि हर ग्राहक इस पॉलिसी में कवर होता है. इसके लिए उसे कोई प्रीमियम भी नहीं देना होता.
एफआईआर की कॉपी, घायलों के इलाज के पर्चे व मेडिकल बिल तथा मौत होने पर पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, मृत्यु प्रमाणपत्र संभाल कर रखें.
दुर्घटना होने पर उसकी ओर से वितरक के जरिए मुआवजे का दावा किया जाता है. दावे की राशि बीमा कंपनी संबंधित वितरक के पास जमा करती है और यहां से ये राशि ग्राहक के पास पहुंचती है.
जानिए क्या था पूरा केस?
कुछ समय पहले दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में एक कंज्यूमर के घर में गैस का सिलिंडर लीक हुआ और ब्लास्ट के कारण सास और बहू दोनों बुरी तरह झुलस गए. बाद में इलाज के दौरान बहू ने दम तोड़ दिया. 3 अप्रैल 2003 को महिला और उनकी बहू किचन में खाना बना रही थीं. इसी दौरान गैस सिलिंडर खाली हो गया. जब दूसरा भरा सिलिंडर लगाने के लिए लाया गया तो कैप खोलते हुए उसमें से गैस लीक हुई और लिक्विड गैस का फव्वारा फूटा, फव्वारा फूटते ही दोनों महिलाएं गैस की चपेट में आ गईं.
बहू के 90 फीसदी जलने के कारण उसकी मृत्यु हो गयी, जबकि सास बुरी तरह झुलस गयी. फायर सर्विस के लोग मौके पर पहुंचे तो छानबीन में पाया कि गैस सिलिंडर का वॉल्व ठीक नहीं था और लीक कर रहा था. डिफेक्टिव सिलिंडर के कारण ये लीकेज हुआ था.
मृतका के पति और सास की ओर से मुआवजे के लिए कंज्यूमर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. स्टेट कंज्यूमर फोरम ने निर्देश दिया कि मृतका के पति को बतौर मुआवजा 10 लाख 46 हजार रुपये का भुगतान किया जाए और सास को एक लाख 75 हजार रुपये दिए जाएं.

विज्ञापन समाचार हेतु सपर्क करे-9425569117/9993199117

सेक्टर 1 साख समिति में दस साल से चल रहा है घोटाला

Related Articles

Back to top button