महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध,प्रतितोष) अधिनियम 2013Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition, Redressal) Act 2013

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध,प्रतितोष) अधिनियम 2013
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एवं श्रमायुक्त द्वारा प्रत्येक प्राइवेट सेक्टर संगठन, संस्थान में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन कराने हेतु निर्देशित
कवर्धा, 17 अगस्त 2021। माननीय सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्देश पर भारतीय संसद द्वारा महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध,प्रतितोष) अधिनियम 2013 निर्मित किया गया एवं भारतीय दंड संहिता में धारा 354 ए,बी,सी एवं डी जोड़े गए। इस अधिनियम (कानून) का पीडीएफ इंटरनेट में सरलता से उपलब्ध है। संदर्भित पत्र क्र एक एवं दो के द्वारा क्रमशः छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग एवं श्रमायुक्त छत्तीसगढ़ द्वारा प्रत्येक प्राइवेट सेक्टर संगठन, संस्थान में इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन कराने हेतु निर्देशित किया गया है। अधिनियम की धारा 4 के अनुसार ऐसे समस्त कार्यस्थल पर जहां 10 या 10 से अधिक श्रमिक नियोजित हो नियोजक लिखित आदेश के द्वारा आंतरिक परिवाद समिति का गठन करेगा। आंतरिक समिति में निम्नानुसार सदस्य होंगे, जिसमें एक पीठासीन अधिकारी, जो कार्यस्थल पर ज्येष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी होगी। कर्मचारियों में कम से कम 2 सदस्य जो महिलाओ की समस्याओं के प्रति प्रतिबद्ध हों। एक सदस्य, महिलाओं की समस्याओं के प्रतिबद्ध किसी गैर सरकारी संगठन से। अधिनियम की धारा 6 के अनुसार ऐसे संस्थानों में जहां 10 से कम कर्मचारी होने के कारण आंतरिक परिवाद समिति गठित न की गई हो, अथवा परिवाद नियोजक के ही विरूद्ध हो, तो परिवाद जिला स्तर गठित स्थानीय परिवाद समिति को प्रस्तुत किए जा सकेंगे। कलेक्टर के अनुमोदन से कबीरधाम जिले में भी ’जिला स्तरीय परिवाद समिति’गठित है।
अधिनियम की धारा 19 के अनुसार प्रत्येक नियोजक का यह कर्तव्य होगा कि वह कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराएगा। साथ ही वह उपरोक्तानुसार आंतरिक समिति के गठन के आदेश और उत्पीड़न के दंड को ऐसे स्थान पर प्रदर्शित करेगा, जहां से वह सरलता से दिखलाई पड़े। अधिनियम की धारा 26 के अनुसार कोई नियोजक यदि आंतरिक समिति का गठन करने में असफल रहता हो अथवा अधिनियम के किन्हीं नियमों का उल्लंघन करता हो तो वह राशि 50,000 तक के जुर्माने से दण्डनीय होगा। जिला स्तरीय स्थानीय शिकायत समिति में अध्यक्ष श्रीमती नेहा देवांगन, सामाजिक कार्यकर्ता (मो.-7999313969) एवं सचिव श्री सूर्यकांत गुप्ता, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी (मो.9425227636) है।