बयान बाजी में एक यूनियन ने दुसरे यूनियन को पप्पू व मावली कहा, सीटू ने शिक्षकों से पूछा- पप्पू व मवाली में क्या है अंतर !
भिलाई – हिन्दुस्तान स्टील इम्प्लाइज यूनियन सीटू के नेता शुक्रवार को शिक्षकों से सीधा संवाद किया। सीटू ने अपने कार्यकाल में किए गए कार्यों की प्रोग्रेस कार्ड शिक्षकों के बीच में रखा। वहीं शिक्षकों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए शिक्षकों से पूछा कि पप्पू व मवाली में क्या अंतर है। क्योंकि चुनावी समर में बयानबाजी करते हुए एक यूनियन ने सीटू को पप्पू कह दिया तो दूसरे यूनियन ने सीटू को मवाली कह दिया। सीटू यह जानना चाहता है की क्या पप्पू मवाली हो सकता है या फिर मवाली पप्पू बन के रह सकता है। सीधा संवाद करने के दौरान कर्मियों ने सीटू नेताओं से पूछा कि कुछ यूनियनों द्वारा उछाले जा रहे आर्थिक नफा नुकसान की वास्तविकता क्या है। उस पर सीटू नेता ने कहा कि सीटू द्वारा किए गए कार्यों एवं बंद करवाएं गए दलाली के सामने अपने आप को कमजोर महसूस करने वाली कुछ तथाकथित यूनियनों द्वारा कर्मियों को आर्थिक झांसा देकर वोट बंटोरने की नीति अपनाई जा रही है। इसके तहत वे तथाकथित यूनियने कर्मियों को 5000 से लेकर 50,000 तक आर्थिक नुकसान होने और ना जाने कौन-कौन सी नई-नई गणित को समझाने में लगे हुए हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि आर्थिक मंदी के चलते भिलाई ही नहीं अपितु पूरे सेल में कर्मियों की सुविधाओं में कटौती हुई है, किंतु आर्थिक रूप से मिलने वाले वेतन और भत्ते में कोई खास अंतर नहीं है। सीटू नेता ने कहा कि निश्चित रूप से पिछला वेतन समझौता एनजेसीएस के अंदर हुआ है। एनजेसीएस के इतिहास में पहली बार मिनिमम गारंटीड बेनिफिट 17 प्रतिशत, पर्क्स छह प्रतिशत व पेंशन में प्रबंधन का अंशदान 6 प्रतिशत के साथ लगभग 5500 करोड़ रुपये का वेतन समझौता हुआ, जो कि एनजेसीएस के इतिहास में सबसे बड़ा वेतन समझौता माना जाता है।