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*परम्परागत ढंग से जिलेभर में धूमधाम के साथ मना हरेली का त्योहार*

*(पर्व पर कही वृक्षारोपण तो कही गेड़ी उत्सव तो कही नारियल फेंक के पारम्परिक कार्यक्रम का आयोजन)*

*बेमेतरा:-* सावन मास के अमावस्या को मनाए जाने वाला छत्तीसगढ़ लोक परम्परा का पहला पर्व हरेली ज़िला मुख्यालय सहित समूचे जिले के चारो विकासखण्डों क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ हरसाल की तरह कल रविवार को मनाया गया। हालांकि इस पारम्परिक पर्व की रौनक नगरीय क्षेत्रों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा उत्साहजनक रही। वही इस अवसर पर कृषि प्रधान ज़िले के ग्रामीण कृषक से लेकर बच्चों व महिलाओं में भी खासा उत्साह देखा गया। जिसमे इस दौरान पर्व के मौके पर जहां ज़िलाक्षेत्र के किसानों ने अपने पशुधन व कृषि उपकरणों की पूजा-अर्चना की। वहीं महिलाओं ने घर की रक्षा के लिए दीवारों पर गोबर से तांत्रिक वीरों की आकृति उकेरी। वही नन्हे बच्चों ने गेड़ी बनाई और उसका आनंद लिया तो युवा वर्ग ने नारियल फेंककर अपने बाहुबल का प्रदर्शन किया।फलस्वरूप ज़िला मुख्यालय सहित नवागढ़, बेरला, साजा, देवकर, नांदघाट, थान-खम्हरिया, परपोड़ी, मारो, सम्बलपुर, दाढ़ी, खण्डसरा, भिम्भौरी, सरदा, देवरबीजा, कोदवा, परपोड़ा, कुसमी, सहसपुर, मोहगांव सहित इत्यादि नगरों एवं गाँवो में बड़े धूमधाम से प्रदेश की पहचान पारम्परिक हरेली उत्सव को शान से मनाया गया।

गौरतलब हो कि इस सावन मास का पहला त्योहार हरेली छत्तीसगढ़ में रहने वालों के लिए अनेक मायनो में बड़ा विशेष महत्व रखता है। जिसमें हरेली के दिन किसान बन्धु कृषि कार्य के पूरा होने की खुशी में अपने पशुधन व कृषि उपकरणों की पूजा कर गुड़ का चीला व गुलगुला का प्रसाद चढ़ाकर ईश्वर से अच्छी फसल की कामना करते दिखाई पड़े। वही हरेली के त्योहार का बच्चों ने एक प्रकार का पारंपरिक गेड़ी का तथा युवाओं ने परम्परागत खेल के रुप में नारियल फेंककर मजा लिया।वही घर -परिवार के लिए समर्पित महिलाओं ने बाहरी बलाओं से रक्षा के लिए अपने घर दिवारों में गोरब से तांत्रिक वीरों की आकृति बनाकर पर्व की रौनक बधाई। देखा जाए तो इस दिन पशुधन की सेवा करने वाले यादव व यदुवंशी परिवार अपने मालिकों के घर नीम की डाली गोशाला व दरवाजे पर खोंचते नज़र आये। जिसके एवज में मालिक-ठाकुरों द्वारा उन्हें अनाज व रुपए बतौर उपहार दिया गया ।चूंकि हरसाल ग्रामीण अंचलों में हरेली पर्व को और भी वृहद रूप में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते आ रहे हैं। गत वर्ष कोरोनाकाल के चलते त्योहार की रौनक काफी फीकी रही।वही इस बार भी भीषण वैश्विक महामारी संकटकाल के चलते इस पारम्परिक पर्व के आयोजन में कोरोना की छाया मंडरा रहता था। वही वर्तमान समयानुकूल एवं परिस्थितियों को देखकर हरेली पर्व बड़े धूमधाम से जिलेभर में मनाया गया।

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