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कवर्धा। भारदेव सहकारी शक्कर कारखाना कल्याण संघ के अध्यक्ष जगदीश बंजारे ने एक बार फिर कारखाने की पुरानी इतिहास की पन्नो के अपने पुरानी अंदाज़ में खोलना चालू कर दिया किया है। विदित हो की वर्ष 2004 से लेकर 2014 तक 10 वर्ष तक जगदीश बंजारे द्वारा भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना में यूनियन के मुखिया का दायित्व निभाते हुए कारखाना के अधिकारियो की न्युक्ति और अधिकांश कर्मचारियों की न्युक्ति व नियमितिकरण के साथ साथ श्रमिकों को उनका हक दिलाया था। वर्ष 2014 में भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना के प्रबंधक एवम यूनियन के बीच सहमति बनी थी । और एक प्रस्ताव पारित किया था,जिसमे कारखाने की समस्त मांगों को पूरा किया जावेगी , फिर यूनियन को बंद कर दिया था । परंतु प्रबन्धक द्वारा लापरवाही दिखाते हुए 7 वर्षों से कारखाने में कार्यरत कर्मचारियों का शोषण करते हुए , कार्यरत श्रमिकों एवम कर्मचारियों के अधिकार का हनन करते हुए , उनके उक्त मांगों पर प्रबंधक ने आज तक अमल नहीं किया गया है।जिसके विरोध में और अपनी मांगों को लेकर श्रमिक संघ के अध्यक्ष जगदीश बंजारे ने 6 बिंदु मांगों को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा , एवम मांग पूरी नहीं करने पर 15 दिन के अंदर टूल डाउन हड़ताल की चेतावनी दिए।
जानिए क्या है,श्रमिक संघ की 6 बिंदु मांग….
1, भोरमदेव शक्कर कारखाना में 2014 में श्रमिकों की विभिन्न समस्याओं एवं मांगों पर प्रबंधन और यूनियन के बीच सहमति बनी थी एवं प्रस्ताव पारित किया गया था की रिक्त पदों की भर्ती की जाएगी परंतु प्रबंधक की लापरवाही के कारण आज तक उक्त मांगों पर निराकरण नहीं किया गया।
2, भोरमदेव शक्कर कारखाना में कार्यरत समस्त ठेका श्रमिकों को शैक्षणिक योग्यता एवं वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी की जाए एवं नियुक्ति पत्र नहीं देने पर ठेका श्रमिकों को सेंसन पोस्ट पदों के अनुसार वेतन निर्धारण की जाए ।
3,भोरमदेव शक्कर कारखाना में समस्त ठेकेदारों के द्वारा श्रमिकों की बीमा काटी जाती है परंतु दुर्घटना होने पर मात्र ₹10000 ही दी जाती है जो कि अन्याय हैं तथा कारखाना में कार्यरत श्रमिकों का कोई भी दुर्घटना होने पर संपूर्ण इलाज की जवाबदारी कारखाना प्रबंधक की होगी भोरमदेव शक्कर कारखाना में 2012-13 में कुशल श्रमिकों की
प्रति वर्ष ₹500 बढ़ाने के लिए इंक्रीमेंट किया गया था जो कि केवल 2 वर्ष ही लागू किया गया था जिसका पैसा लागू कर येरियस के रूप में दिया जाए।
4, भोरमदेव शक्कर कारखाना एवं यूनियन के बीच सहमति बनी थी कि वेतन प्रतिमा 7 तारीख को देने का निर्णय लिया गया था जो लागू था परंतु 2 वर्षों से प्रबंधन के सौतेला व्यवहार करते हुए मनमानी पर वेतन दिया जा रहा है जो नियम के विरुद्ध है जिसमें समस्त श्रमिकों को आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
5, कारखाना का पूर्णता रखरखाव करते हुए मरम्मत की जाए कारखाना के कुछ जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही व अनदेखा पन से कारखाना अत्यंत जर्जर हो चुका है जिसकी लाइफ कम हो रही है जिसके वजह से कारखाना में कभी भी बड़ी अप्रिय घटना हो सकती है।