आई जी डांगी जहां भी रहे अपने व्यवहार से बना लिये सबको कायल

पुलिस के प्रति जनता के मन मे विश्वास बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा-आईजी डांगी
भिलाई। दुर्ग रेंज के सरल, सहज व जुझारू नवपदस्थ पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी का नाम इस रेंज के लिए भले ही नया हो पर आईजी डांगी जहां भी पदस्थ रहे वहा के हर वर्ग के लोग इनके व्यवहार व काम करने के तरीके के प्रशंसक रहे है। आईजी डांगी ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा में बताया कि रेंज में बेसिक पुलिसिंग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। युवाओ को पुलिस से जोडऩे व तालमेल बैठाने का भी प्रयास किया जाएगा। पुलिस के कामकाज और व्यवहार से जनता का विश्वास हासिल करना पहली प्राथमिकता रहेगी। दुर्ग रेंज पुलिस अपना फर्ज पूरा करने में कोई कसर नही छोड़ेगा। श्रीडांगी ने कहा कि दुर्ग रेंज के सभी जिलों में पुलिस जऩ विश्वास बढ़ाने के साथ ही अपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगायेगी। सरकार की मंशा के अनुरूप नई योजना बनाकर नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में क्रियान्वयन किया जायेगा। यहा सीएम और गृहमंत्री का निवास होने से पुलिस का दायित्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। बेहतर पुलिसिंग के लिए अधिकारियों को दिशा- निर्देश दिए गए है।
बच्चों व युवाओं से विशेष लगाव
आईजी डांगी का बच्चों व युवाओ से विशेष लगाव रहा है। इनका मानना है कि बच्चे देश के भविष्य है। जिस परिवार, समाज व देश का युवा सही दिशा में चलेगा तभी देश का विकास होगा। युवाओ को सही लाइन पर लाना उनको गाइड करने से परिवार/समाज मे शांति होगी तभी देश आगे बढ़ेगा। युवाओ में परिपक्वता की कमी होती है इसलिए युवा सही निर्णय नही ले पाते उनको सही चीज़ बताना ही प्राथमिकता में शामिल है। दुर्ग भिलाई की शिक्षाधानी के रूप में पहचान है। यहां बाहर से आकर युवा छात्र- छात्राये पढ़ाई करते है। स्थानीय पालकों के अभाव में इन युवाओं को गलत दिशा में जाने से रोकना पुलिस का काम है जिसे हम करेंगे। नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर, कोंडागांव, जगदलपुर में पदस्थ रहते हुए इन्होंने उन जगहों के गरीब व जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई की सामग्री उपलब्ध करते रहे है ताकि बच्चों को पढऩे में कोई दिक्कत न हो।
नक्सली क्षेत्र में उपलब्धियो भरा रहा कार्यकाल
आईजी डांगी अपने अब तक के कार्यकाल में छ: बार नक्सली क्षेत्र में पदस्थ रहे। इन क्षेत्रों में इन्होंने पदस्थ रहते हुए कई बड़े नक्सली अभियान का हिस्सा रहे और कई अभियान का नेतृत्व कर सफलता दिलाई। नक्सलियों द्वारा जगरगुड़ा के मालेवागु नाले पर निर्मित पुल को आईईडी से ब्लास्ट कर उड़ा दिए थे जिसके कारण जगरगुड़ा के रहने वाले करीब 528 परिवार मुख्य मार्ग से कट गया था। करीब 10 वर्षो तक जगरगुड़ा टापू में तब्दील हो गया था। वहा डीआईजी पदस्थापना के बाद इनके अथक प्रयास व मेहनत से महज सात दिन में ही पुल का निर्माण किया गया।
दंतेवाड़ा डीआईजी रहते हुए इन्होंने नक्सलियों को फेसबुक के माध्यम से खुली चुनौती देते हुए कहा था कि तुम पुल तोड़ते रहो, हम बनाते रहेंगे और मालेवागु में नया पुल बनवाया, कोंडागांव के बारदा नदी के पुल का काम पूरा करवाया। नक्सलियों को चैलेंज करने के बाद तीन पुल निर्माण करने के बाद करीब आधा दर्जन स्थानों पर पुल-पुलिया निर्माण का काम तेजी से हुआ। निर्माण कार्य स्थल में खुद खड़े होकर निर्माण कार्य करवाते थे। बीजापुर, बस्तर आदि जगहों पर सडक़ निर्माण में इनकी अहम भूमिका रही। बीजापुर के भोपालपट्टनम में इंद्रावती नदी पुल निर्माण, सुकमा के मुकरम नाले पर महज 12 दिन में पुल निर्माण कार्य मे भी इनका साहसिक व प्रशंसनीय योगदान रहा है। जब पहली बार हिमडा के मांद फोर्स घुसी और मुठभेड़ में नक्सलियों का सबसे बड़ा मिलिट्री ट्रेनिग कैम्प ध्वस्त किया इस ऑपरेशन में भी इनका सराहनीय योगदान रहा। नक्सली क्षेत्र में पदस्थ रहते हुए इनके कार्यकाल में कई एनकाउंटर हुए जिसमे सैकड़ो नक्सली मारे गये और 500 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया।
सफर तहसीलदार से आईजी तक का
बहुत कम ही लोग जानते होंगे को श्रीडांगी आईपीएस अफसर बनने से पहले राजस्थान में तहसीलदार थे। इनका जन्म राजस्थान के नागौर में हुआ था। इनकी पूरी शिक्षा राजस्थान में ही पूरी हुई है। ये पोलिटिकल साइंस में स्नातकोत्तर है। देश के लिए कुछ करने का जज्बा लिए इन्होंने तहसीलदार रहते हुए यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी की और वर्ष 2003 में ये आईपीएस के लिए चयनित हुए। वर्ष 2004 में राजनंदगांव में बतौर प्रोवेजनल इनकी पहली पोस्टिंग हुए। वर्ष 2005 में एसडीओपी कांकेर रहे। वर्ष 2006-07 में पुलिस अधीक्षक बीजापुर रहे। वर्ष 2008 में पुलिस अधीक्षक कांकेर रहे। वर्ष 2008-11 तक पुलिस अधीक्षक कोरबा रहे। वर्ष 2011-12 पुलिस अधीक्षक बस्तर रहे। वर्ष 2012-13 पुलिस अधीक्षक बिलासपुर रहे। वर्ष 2014-15 पुलिस अधीक्षक कोरबा रहे। वर्ष 2015-16 चौथी बटालियन रायपुर में सेनानी रहे। वर्ष 2017 में इनका प्रमोशन हुआ और उप पुलिस महानिरीक्षक कांकेर रहे। वर्ष 2018 में उप पुलिस महानिरीक्षक दंतेवाड़ा रहे और जनवरी 2019 में दुर्ग रेंज में बतौर पुलिस महानिरीक्षक पदस्थ है। वर्ष 2008 व 2009 में इन्हें नक्सल ऑपरेशन में उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार से सम्मानित भी किया जा चुका है।