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ऑक्सीजन की कमी शिवराज विरोधियों के करियर को उबारने में संजीवनी का काम करेगी?Will the lack of oxygen help Sanjeevani in reviving the career of Shivraj’s opponents?

मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर बेहद तीव्र है. इसने भाजपा की ठहरी हुई राजनीति में भी हलचल ला दी है. प्रशासनिक अव्यवस्था और कुप्रबंधन की स्थिति भी लगातार देखने को मिल रही है. ऑक्सीजन और रेमडेसिविर  इंजेक्शन की कमी से जनता में सरकार को लेकर नाराजगी है नेताओं को अपने व्यक्तिगत संपर्कों के जरिए ऑक्सीजन और जीवन रक्षक इंजेक्शन का इंतजाम करना पड़ रहा है. नेताओं के बीच संपर्क संपन्न दिखाने की होड़ चल पड़ी है. भाजपा में चल रही इस होड़ में शिवराज सिंह चौहान के सामने कैलाश विजयवर्गीय हैं.

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को एक साथ दो मोर्चे संभालना पड़ रहे हैं. वे बंगाल के प्रभारी होने के कारण कोलकाता को अपनी गतिविधि का मुख्य केंद्र बनाए हुए हैं. इंदौर से संवाद सोशल मीडिया के जरिए करते रहते हैं. इंदौर उनकी कर्मभूमि है. मध्यप्रदेश की राजनीति के कद्दावर नेता हैं. इंदौर में कोरोना संक्रमण अन्य जिलों की तुलना में ज्यादा है. इंदौर राज्य का सबसे सुविधा संपन्न शहर भी माना जाता है. यहां पर्याप्त मेडिकल सुविधाएं हैं. इसके बाद भी ऑक्सीजन और रेमडेसिविर यहां के लोगों को उपलब्ध नहीं हो पाई. सात अप्रैल को जब इंदौर में संक्रमण तेज हुआ तो विजयवर्गीय ने प्रशासन को आगह करते हुए कहा कि इंदौर को विश्वास दिलाएं और निर्णय लें,अनिर्णय किसी भी काम के लिए अच्छा नहीं होता.

पहले विजयवर्गीय के इस ट्वीट को उनकी प्रशासन से चल रही नाराजगी से जोड़कर देखा गया. जबकि वे लॉकडाउन पर फैसले में देरी पर सवाल उठा चुके हैं. इंदौर लंबे कोरोना कर्फ्यू में है. इंदौर में जब हालात काबू से बाहर हुए तो लोगों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराने के लिए विजयवर्गीय को अपने उद्योगपति मित्रों से मदद लेना पड़ी.कांग्रेस सेवादल के पूर्व अध्यक्ष योगेश यादव कहते हैं कि इंदौर की जनता भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी का शिकार हो रही है. जवाब में भाजपा के वरिष्ठ नेता गोविंद मालू कहते हैं कि कांग्रेसी उद्योगपतियों का उपयोग सिर्फ अपने फायदे के लिए करते हैं.

शिवराज के कारण राज्य की राजनीति से अलग हुए थे विजयवर्गीय

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले ही कैलाश विजयवर्गीय ने शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था. वे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री बन गए. बंगाल का प्रभार मिल गया. खुद ने विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा. पार्टी ने टिकट उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय को दी. इंदौर में विजयवर्गीय के अलावा एक अन्य पार्टी का बड़ा चेहरा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन हैं. उन्हें भी पार्टी ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दी. महाजन और विजयवर्गीय के बीच भी तनातनी है. इस तनातनी में शिवराज सिंह चौहान की पिछली सरकार में इंदौर को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व भी नहीं मिला था. वर्तमान में तुलसी सिलावट और ऊषा ठाकुर मंत्री हैं. सिलावट, सिंधिया कोटे से हैं. ऊषा ठाकुर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का चेहरा हैं. विजयवर्गीय के करीबी रमेश मेंदोला वरिष्ठता के बाद भी मंत्री नहीं बन पाए. कहा जाता है कि विजयवर्गीय और मेंदोला के खिलाफ सामाजिक सुरक्षा पेंशन के कथित घोटाले को आधार बनाकर राजनीतिक करियर को रोकने की कोशिश मुख्यमंत्री चौहान की ओर से लगातार की जाती रही है. विजयवर्गीय के करीबी भी सरकार के निशाने पर हैं.  विजयवर्गीय अब तक मुख्यमंत्री चौहान पर सीधा हमला करने से बचते रहे हैं. वे अपने निशाने पर सरकारी मशीनरी को लेते हैं. कोरोना संक्रमण के शिकार लोगों को प्रशासन जब ऑक्सीजन और रेमडेसिवीर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं कराया पाया तो विजयवर्गीय की नाराजगी स्वाभाविक थी.

जबलपुर में विश्नोई के निशाने पर है सरकार

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक अन्य कट्टर विरोधी पाटन विधायक अजय विश्नोई भी सिस्टम को लगातार निशाने पर लिए हुए हैं. जबलपुर में जब ऑक्सीजन की कमी हुई तो विश्नोई ने मुख्यमंत्री चौहान से आग्रह किया कि वे इस महामारी से निपटने के लिए सेना की मदद लें. बिश्नोई का समर्थन कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने भी किया. विजयवर्गीय द्वारा अपने उद्योगपति मित्रों से मदद लेने के बात सामने आने के बाद भाजपा-कांग्रेस  के अन्य नेताओं के बीच प्रयास दिखाने की होड़ लग गई. विजयवर्गीय ने जब ट्वीट किया कि उन्होंने दवा इंडस्ट्रीज के अपने मित्रों से 1700 रेमडेसिवीर इंजेक्शन की मदद ली है और  इंजेक्शन इंदौर कलेक्टर को भेजे जा रहे हैं. कुछ ही देर बाद मुख्यमंत्री का एक ट्वीट सामने आता हैं जिसमें बताया गया कि उन्होंने हैदराबाद की हेट्रो ड्रग लिमिटेड से बात की है. कंपनी ने बारह हजार इंजेक्शन उपलब्ध कराने का वादा किया है. दिलचस्प यह है कि उच्च राजनीतिक स्तर पर सीधे कोशिश के दावे के बाद भी मध्यप्रदेश में इंजेक्शन लोगों को नहीं मिल पा रहा है. इंदौर को ऑक्सीजन गृह मंत्री अमित शाह की कोशिशों से मिली है.

बंगाल चुनाव के बाद की राजनीति पर नजर

बंगाल के चुनाव परिणामों के बाद कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका को लेकर अटकलें चलने लगी हैं.  कहा जा रहा है कि वे राज्य की राजनीति में वापस सक्रिय हो सकते हैं. इंदौर को लेकर जो सक्रियता विजयवर्गीय ने दिखाई है,उससे उनके समर्थक भी उत्साहित हैं.  शिवराज सिंह चौहान ने  पिछले पंद्रह साल में पार्टी के जिन नेताओं को किनारे लगाया है,विजयवर्गीय को ऐसे नेताओं का समर्थन भी मिल रहा है.

नेताओं के स्कूल-हॉस्टल बने राजनीति का मुद्दा

इंदौर की राजनीति में एक अन्य महत्वपूर्ण चेहरा मालिनी गौड़ का है. वे चार नंबर सीट से विधायक हैं. इंदौर की महापौर रही हैं. उनके पति स्वर्गीय लक्ष्मण गौड़ भाजपा सरकार में मंत्री थे. एक रोड एक्सीडेंट में निधन हो गया था. मालिनी गौड़ ने ऑक्सीजन और इंजेक्शन की राजनीति में न पड़कर एक अलग रास्ता चुना. उन्होंने शहर के दो अलग-अलग स्थानों पर बने अपने 190 सीटर हॉस्टल आवश्यकतानुसार उपयोग में लेने का आग्रह जिला प्रशासन से किया है. इंदौर से कांग्रेस विधायक ने अपने खर्च से ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीद कर मरीजों को दिए. कटनी में पूर्व मंत्री संजय पाठक अपना स्कूल कोविड सेंटर के लिए देने का प्रस्ताव रखा है. कांग्रेस के एकमात्र सांसद नकुल नाथ ने अपने संसाधनों से सेंटर तैयार किया है. राज्य में कांगे्रस विधायक अपनी निधि ऑक्सीजन और इंजेक्शन खरीदी के लिए जिला प्रशासन को दे रहे हैं. लेकिन,इंजेक्शन फिर ब्लैक में बिक रहा है

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