कर्मचारियों के हक के लिए यूनियन को अब करना पड़ रहा प्रदर्शन-एच एस मिश्रा Union now has to protest for the rights of employees- HS Mishra
भिलाई/ एचएमएस के अध्यक्ष एच.एस.मिश्रा ने बताया कि एक जमाने में भिलाई इस्पात संयंत्र का वर्कर यूनियन और प्रबंधन के बीच का औद्योगिक संबंध पूरे भारत में प्रसिद्ध था परंतु आज इस मामले में भिलाई अपनी पहचान खोते जा रहा है पहले ईडी पर्सनल और एमडी प्लांट के अधिकारी और कर्मचारियों के बीच ही नहीं अपितु पूरे टाउनशिप में नागरिकों के साथ भी संबंध बनाकर चलते थे।
एमडी केवल संयंत्र ही नहीं बल्कि सेक्टर 9 अस्पताल कभी स्कूल व कभी शहर में चले जाया करते थे इसके विपरीत अधिकारियों के नए प्रमोशन पॉलिसी के चलते ईडी व सीईओ लेबल में बाहरी लोग प्रमोशन पाकर आते हैं, उनमें से 25 प्रतिशत ही यहां दिल लगाकर कर काम कर पाते हैं बाकी केवल समय काटते रहते हैं।
पहले प्रबंधन स्वयं ही अपनी आने वाली किसी भी परेशानी का सामना करने कर्मचारियों व नागरिकों से चर्चा कर तैयारी करते थे परंतु वर्तमान में विश्वव्यापी महामारी करोना से बचाव के उपाय व उचित इलाज की व्यवस्था के लिए यूनियन को प्रदर्शन करना पड़ा। उसके बाद अस्पताल प्रबंधन सेक्टर 9 के सामने कहीं चेस्ट वार्ड को कोविड-19 बनाया गया।
कर्मचारियों ने कोरोना के चैन को तोडऩे रोस्टर आदि की व्यवस्था करने की मांग प्रबंधन से अनेकों बार की एवं थक हार कर जिलाधीश के पास भी अपनी जान बचाने गुहार लगाई। उस समय मार्च-अप्रैल 2021 में प्रबंधन कर्मचारियों के जीवन की चिंता छोड़ कर आर्थिक कलेक्शन का रिकॉर्ड बनाने में लगा हुआ था, रिकॉर्ड तो बनाया परंतु 200 से अधिक नियमित कर्मचारियों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। आक्रोश में कर्मचारियों ने टूल डाउन किया तो प्रबंधन ने अपनी नाक बचाने हजारों कर्मचारियों के बीच से कुछ लोगों पर निलंबन की कार्यवाही करके बिगड़ रहे आर्थिक संबंध को और खराब करने में अपना योगदान दिया। अभी भी समय है भिलाई प्रबंधन चाहे तो यह सुधारा जा सकता है। निलंबन को 3 माह से अधिक समय हो गया है आगे भविष्य में बीएसपी प्लांट को यही युवा साथी ही चलाएंगे, प्रबंधन उदारता का परिचय देते हुए निशर्त निलंबन वापसी करे ताकि इनके मन में भी प्रबंधन के प्रति भावना बदले और कारखाने का काम सुचारू रूप से चले।
अब बाद एक नंबर पर आई इंटक यूनियन के चुनाव जीतने के बाद यह कार्यालय के लिए हेल्थ सेंटर सेक्टर 3 को पाकर वाकई ऐतिहासिक सफलता पाई थी (इन्हीं की भाषा में) इसलिए प्रबंधन से यह और कुछ कर्मचारियों के लिए मांग करने की स्थिति में नहीं रह गए। अपने महासचिव के सेवानिवृत्त के पहले अपनी इज्जत बचाने प्रमोशन के लिए समझौता किया है जो कर्मचारियों के हित में नहीं है।
इसमें निम्न बातों को भुला दिया गया है।
एस-10 से एस-11 का प्रमोशन एस-10 के लागू होने के वर्षों बाद भी 5 साल में दिया जा रहा है जिससे हजारों कर्मियों को एक साल का समय व आर्थिक नुकसान हो रहा है।
2. एस-11 के बाद एस-12 नहीं ला सकते तो कम से कम इंक्रीमेंट को नियमित दिलाने की बात कर सकते थे।
3. 2001-2002 से प्रबंधन माईनिंग पोजिशन में वीआर एवं श्व 0 के नाम से कुछ पद जबरन रोक के रखे हुए है जबकि वीआर भी कई-कई वर्षों से लागू नहीं हुआ है तथा श्व 0 भी दस साल से बंद है तो उनके जगह पद जाम करने का कोई मतलब नहीं है इसे भी युनियन चाहती तो डी.कलस्टर में वेकेन्सी बनाना और चैन सिस्टम से ए कलस्टर तक बहुतों को प्रमोशन मिलता, पर इंटक युनियन शायद यह भी भूल गई थी।
4. स्व. पंडा साहब (महाप्रबंधक प्रभारी कर्मिक) दिलेर आदमी थे, ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे वे स्वयं हमेशा कहते थे कि वेकेन्सी हो या न हो बीटविन कलस्टर प्रमोशन 3 वर्षों में होना चाहिए। यह लाभदायक होगा। युनियन ने क्या किया?
5. युनियन चाहती तो क्वार्टर एलाटमेंट के नियमों में सुधार करती मकानों की मरम्मत कराती, पानी बिजली व सेक्टर 9 में इलाज सुधार की व्यवस्था कराती, शिक्षा व्यवस्था में सुधार कराती, पर यह सब बातें कही चर्चा में ही नहीं है।
एच.एस.मिश्रा ने कहा कि प्रबंधन व कर्मचारियों के बीच संबंध सुधारना जरूरी है और प्रबंधन को आगाह करती है कि प्रमोशन पॉलिसी में उपरोक्त बातों को शामिल करे व उचित सुधार करे। हमारी युनियन कर्मचारियों और संयंत्र की भलाई चाहती है।