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निलंबित एडीजी जीपी सिंह के खिलाफ स्मृति नगर चौकी में हुआ एक और एफआईआर व्यवसायी को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर वसूले थे बीस लाख रुपए

भिलाई/ निलंबित आईपीएस जीपी सिंह की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है बल्कि मुसीबत और बढते ही जा रही है। निलंबित आईपीएस एडीजी जीपी सिंह के खिलाफ  स्मृतिनगर पुलिस चौकी मे एक और एफआईआर दर्ज हुआ है। आरोप है कि पुलिस महानिरीक्षक रायपुर रेंज रहने के दौरान केस कमजोर करने एक करोड़ की डिमांड  की थी। आरोप है कि अपने सहयोगी रणजीत सिंह निवासी रायपुर के माध्यम से रोड ठेकेदार से 20 लाख एडवांस लिए लिए थे। सूर्य विहार भिलाई नगर निवासी रोड कॉन्ट्रैक्टर की लिखित शिकायत पर जांच उपरांत स्मृतिनगर पुलिस चौकी में एफआईआर होकर सुपेला थाना में नंबरिग की गई है। अपराध क्रमांक 590/2021 भादवि की धारा 388,506,34 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर ली गई है। जीपी सिंह के खिलाफ  दुर्ग जिले के स्मृतिनगर पुलिस चौकी थाना सुपेला में एफआईआर दर्ज हुआ है।

निलंबित एडीजी जीपी सिंह और उनके सहयोगियों पर दुर्ग पुलिस ने धारा 388,506,34 की धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया है। जीपी सिंह और उनके साथियों पर आरोप है कि उन्होंने एक व्यवसायी को फर्जी केस में फंसाने की धमकी देकर बीस लाख रुपए वसूले और फिर धमकी भी दी है।

सुपेला थाना में यह एफआईआर दर्ज की गई है। इस एफआईआर में उल्लेखित है कि उद्यमी का लेन देन का विवाद था। साझेदार ने पैसे दबा दिए। तब रायपुर मे रेंज आईजी जीपी सिंह थे। कथित तौर पर जीपी सिंह की शह साझेदार को थी जिसकी वजह से उसे पैसे तो नहीं मिले मगर फर्जी केश में फंसा दिया गया। इस दौरान उद्यमी की पत्नी और परिजनों से केस कमजोर करने के एवज में एक करोड़ रुपए की डिमांड की गयी और बीस लाख रुपए एडवांस के तौर पर वसूले गये।
बता दें कि एक जुलाई की सुबह 6 बजे एसीबी और ईओडब्लू की जांच टीम जीपी सिंह के सरकारी बंगले में दाखिल हुई थी। करीब 75 घंटे की छापेमार कार्रवाई में करोड़ों रुपये बरामद किए गए थे। जिसके बाद एसीबी की टीम ने जीपी सिंह पर धारा 13 (1) बी, 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम यथा संशोधित 2018 के तहत केस पंजीबद्ध किया था।

एसीबी की रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार ने निलंबित करने की कार्रवाई की थी। यही नहीं बाद में जीपी सिंह की डायरी से खुले राज के बाद जीपी सिंह के खिलाफ राजद्रोह का भी मामला दर्ज किया गया। इस मामले में जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। लेकिन बाद में उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।

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