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बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की घटनाएं समाज को शर्मसार करती हैं, Incidents of sexual crimes against children bring shame to the society

दुर्ग /श्री राजेश श्रीवास्तव  जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में श्री शैलेश तिवारी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं डॉ. प्रज्ञा पचैरी अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा ऑनलाइन वीसी के माध्यम से पॉक्सो कानून के तहत जानकारी प्रदान की उन्होंने बताया कि कहा जाता है, बच्चे भगवान का रूप होते हैं तो फिर हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बच्चों के साथ किसी तरह का गलत व्यवहार उनके जीवन को अंधेरे में धकेल सकता है। बच्चों को मानसिक और शारीरिक तौर पर कई तरह की दिक्कतों से होकर गुजरना पड़ सकता है। अपराधी नियम कानून को ताक पर रखकर मासूमों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करते हैं। बच्चों के साथ छेड़छाड़ रेप यौन उत्पीड़न यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे जघन्य अपराधों पर रोक लगाने के लिये राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग पॉक्सोे ई बॉक्स प्रारंभ किया गया है। यदि आपके बच्चों को कोई गलत तरीके से छूता है, गलत हरकतें या गन्दी बातें करता है और उन्हें गन्दी तस्वीरें दिखाता है तो बच्चे बिना किसी को बताये स्वयं ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिला सकते हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों को पॉक्सो ई बॉक्स के बारे में बताएं और उन्हें जागरूक बनाएं। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों की मदद करें, शोषण का शिकार होने से अपने बच्चों को बचाएं और दोषियों को पॉक्सोे एक्ट के तहत सजा दिलाएं।

 न्यायाधीशगण ने बताया कि बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों की घटनाएं समाज को शर्मसार करती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था। पॉक्सो कानून यानी की प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 जिसको हिंदी में लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012 कहा जाता है। इस कानून के लगने पर तुरंत गिरफ्तारी एवं कठोर सजा का प्रावधान है। इस कानून के जरिए नाबालिग बच्चों के प्रति यौन उत्पीड़न यौन शोषण और पोर्नोग्राफी जैसे यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। 18 साल से कम किसी भी मासूम के साथ अगर दुराचार होता है तो वह पॉक्सो एक्ट के तहत आता है। 12 साल तक की बच्ची के साथ दुष्कर्म के दोषी को मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। पॉक्सो के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस की यह जवाबदेही हैं कि पीड़ित का मामला 24 घंटो के अन्दर बाल कल्याण समिति के सामने लाया जाए जिससे पीड़ित की सुरक्षा के लिए जरुरी कदम उठाये जा सके। इसके साथ ही बच्चे की मेडिकल जाँच करवाना भी अनिवार्य हैं। ये मेडिकल परीक्षण बच्चे के माता-पिता या किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में किया जायेगा जिस पर बच्चे का विश्वास हो और पीड़ित अगर लड़की है तो उसकी मेडिकल जांच महिला चिकित्सक द्वारा ही की जानी चाहिए।

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