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*सहसपुर में सावन का पहला सोमवार मानते हुए,ग्राम के शिव मंदिर में जलाभिषेक के साथ कि पूजा*

देवकर:- नगर परिक्षेत्र में लोगो ने सावन का पहला सोमवार है। बड़ी श्रद्धाओ के साथ लोगो ने सावन सोमवारी मनाये। वही ग्राम सहसपुर में सोमवार के दिन महिलाएं सुहागन हों चाहे लड़कियां सभी रखते हुए सोमवार के दिन ग्राम सहसपुर पर पुरानी शिव मंदिर में महिलाएं व लड़कियां सावन के पहला सोमवारी को पूरी व्रत रखते हुए सुबह को मंदिर में शिव भगवान को जलाभिषेक किया गया। वही बेल पत्ता व फूल श्रीफल का चढ़ाया गया।जिसमें महिलाएं (सुहागन)अपनी पति की लम्बी आयु के लिए तो नवयुवतियां इसलिए रखती हैं की उनको अच्छा पति मिले। मान्यता यह है कि सावन के सोमवार को विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आपको बता दे कि देवकर नगर के निकतवर्तीय ग्राम सहसपुर में पुरानी शिवमंदिर पर लोगो ने सावन सोमवारी पर पूजा कर किया गया। सावन के सोमवार के व्रत की कथा के अनुसार जब सनत कुमारों ने महादेव से उन्हें सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो महादेव भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने सावन के महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया। यही कारण है कि सावन के महीने में सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी लड़कियों व्रत रखती हैं। सोमवार व्रत में भगवान भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। व्रती यथाशक्ति पंचोपचार या षोडशोपचार विधि-विधान और पूजन सामग्री से पूजा कर सकता है। व्रत स्त्री-पुरुष दोनों कर सकते हैं। शास्त्रों के मुताबिक सोमवार व्रत की अवधि सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक है। सोमवार व्रत में उपवास रखना श्रेष्ठ माना जाता है, किंतु उपवास न करने की स्थिति में व्रती के लिए सूर्यास्त के बाद शिव पूजा के बाद एक बार भोजन करने का विधान है।

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