सादगी ,सरल और सत्याग्रही जीवन का उदाहरण है विकास राजपूत …….अनुभव तिवारी

नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विकास सिंह राजपूत का जीवन सादगी ,समर्पण और सत्याग्रही व्यक्तित्व से भरा जीवन है उक्त शब्द नवीन शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष अनुभव तिवारी ने व्यक्त किया है शिक्षक नेता का मानना है की संविलियन क्रान्ति के लिए सबसे पहले दिल्ली के जंतर मंतर मे धरना प्रदर्शन करके संविलियन की मांग करने वाले नवीन शिक्षाकर्मी संगठन को केवल प्रदेश के कुछ जिलो मे जाना व सुना जाता था लेकिन दिल्ली के जंतर मंतर से संविलियन का आगाज कराने वाले नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश प्रमुख विकास सिंह राजपूत ने जब तात्कालिक मुख्यमंत्री डा रमन सिंह से शिक्षाकर्मीयो को पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग मे संविलियन की मांग की व प्रदेश भर के सभी जिला मुख्यालयो से संविलियन का मांग सामने आया तो मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दो मे स्पष्ट रूप से कहा की संविलियन ना कभी हुआ है और ना कभी होगा यही वो शब्द थे जो विकास सिंह राजपूत के लिए प्रदेश के शिक्षाकर्मीयो को संविलियन दिलाने के लिए मील का पत्थर बना फिर संविलियन के दीवाने बैनर से पूरा सोशल मिडिया व वो हर माध्यम जिनसे बात सीधे रमन सरकार तक पहुंचे नवीन शिक्षक संघ ने शुरू किया जिसने प्रदेश के सत्ताधीशो को शिक्षाकर्मीयो के बारे मे सोचने पर विवश कर दिया लेकिन इसके बाद भी सरकार अपनी जिद पर अडी रही फिर विकास राजपूत ने सभी संगठनो को एक साथ एक मांग पर एकजुट करने का प्रयास किया और वह प्रयास सफल भी रहा है उस नए संगठन को चारो संगठन ने एक नाम संविलियन मोर्चा दिया संविलियन मोर्चा मे आए सभी संगठनो ने संकुल व ब्लाक लेबल से लेकर जिला व प्रदेश स्तर पर जेल भरो आन्दोलन शुरू कर दिया रायपुर की सडको से शिक्षाकर्मीयो को सरकार ने हटाना शुरू किया महिला शिक्षाकर्मीयो के लिए वाश रूम पर ताले लगा दिए गए कई शिक्षाकर्मीयो को जबरन घर से उठा उठा कर जेलो मे भरा गया लेकिन इन सब के बाद भी मोर्चा ने हार नही मानी और भविष्य के लिए संविलियन नही तो सरकार नही का संकल्प लेकर धरना प्रदर्शन को वापस लेकर सभी अपने अपने स्कूलो मे वापस लौट आए लेकिन जैसे ही चुनाव का समय निकट आया सरकार ने शिक्षाकर्मीयो को संविलियन का तोहफा दिया लेकिन इसमे भी हमारे आठ साल से कम सेवारत वाले साथियो को छोड दिया गया और वर्ष बंधन के साथ संविलियन का आदेश तात्कालिक रमन सरकार ने जारी किया इससे वो शिक्षाकर्मी साथी जिनको आठ वर्ष पूरा नही हुआ था वो परेशान हो गए किसी भी अन्य संगठन ने इनकी सुध नही ली एैसे कठिन समय मे नवीन शिक्षक संघ के प्रदेश प्रमुख विकास राजपूत व शिक्षक नेता चन्द्रदेव राय ने बाकी बचे शिक्षाकर्मीयो के लिए धरना प्रदर्शन शुरू कर संविलियन की मांग शुरू कर दिया और तात्कालिक रमन सरकार से सभी को समान रूप से बिना वर्ष बंधन के संविलियन देने की मांग की लेकिन सरकार ने इसे नही माना चुनाव के बाद सत्ता मे परिर्वतन हुआ और कांग्रेस की सरकार बनी जिसने जनघोषणा पत्र मे सभी शिक्षाकर्मीयो को संविलियन देने का वादा किया था और सरकार बनते ही इसे प्राथमिकता के साथ पूरा करते हुए दो वर्ष सेवा दिए सभी शिक्षाकर्मीयो को शिक्षा विभाग मे संविलियन करते हुए शिक्षाकर्मी शब्द को समाप्त ही कर दिया इससे एक बार फिर से शिक्षक संवर्ग ने खुशी जाहिर करते हुए नवीन शिक्षक संघ पर विश्वास प्रगट करके संगठन को मजबूत किया गया इन सबके बीच विकास सिंह राजपूत ने सभी शिक्षको को धैर्य के साथ संघर्ष करते हुए गांधीवादी विचारधार से मंजिल तक पहुंचने का राह दिखाते हुए आगे बढने हेतु प्रेरित किया है