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महिला किसानों को ध्यान में रखकर अब कृषि यंत्र बनाएं जाएंगे, Keeping women farmers in mind, now agricultural machines will be made

एमएसएमई प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ हुआ एमओयू
दुर्ग। भारत सरकार के रसमढ़ा स्थित एमएसएमई प्रैद्योगिक संस्थान के साथ मिलकर कृषि यंत्र बनाएं जाएंगे इस हेतु शाकंभरी मेकाट्रोनिक्स के संचालक संजय चौबे ने एमएसएमई के प्रतिनिधि तथा लघु उद्योग भारती के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल एवम प्रदेश कार्यलय प्रभारी दुर्गा प्रसाद महिला के समक्ष  भारत सरकार के एमएसएमई  प्रैद्योगिकी संस्थान , बोरई इंडस्ट्रियल एरिया रसमढ़ा के उपमहप्रबंधक रीतेश तांडेकर के साथ किसानों के काम को आसान बनाने के लिए कृषि के क्षेत्र में हो रहे इनोवेशन हेतु शाकंभरी मेक्ट्रोनिक्स के साथ एक एमओयू  हस्ताक्षर किया गया इनोवेशन में क्वॉलिटी पर जोर दिया जाएगा ! शाकंभरी मेकाट्रोनिक के निर्देशक  संजय चौबे ने बताया की एक अनुमान के मुताबिक,  भारत के कुल कृषि श्रमिकों की आबादी में करीब 30-35 फ़ीसदी महिलाएं हैं. लेकिन, खेती-बाड़ी में उपयोग होने वाले ज्यादातर औजार, उपकरण और मशीनें पुरुषों को ही ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं. जिनमें अधिकतर उपकरण महिलाओं की कार्य क्षमता के अनुकूल नहीं होते हैं. गौरतलब हैं कि विकास दर और बदलते सामाजिक-आर्थिक परिवेश जैसे कारकों को ध्यान में रखकर शोधकर्ताओं का यह अनुमान है कि वर्ष 2020 तक कृषि में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़कर 45 फ़ीसदी तक पहुंच सकती है, क्योंकि ज्यादातर पुरुष खेती के कामों को छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में महिलाएं ही कृषि के क्षेत्र में प्रमुख भूमिका निभाएंगी. कृषि उपकरणों के आटोमेशन के द्वारा इन्हीं आयामों और महिलाओं की शारीरिक क्षमता के आधार पर पुराने प्रचलित कृषि उपकरणों को संशोधित करके बिभिन्न प्रकार के नये उपकरण बनाए जाएंगे  इनमें बीज उपचार ड्रम, हस्त रिजर, उर्वरक ब्राडकास्टर, हस्त चालित बीज ड्रिल, नवीन डिबलर, रोटरी डिबलर, तीन पंक्तियों वाला चावल ट्रांसप्लांटर, चार पंक्तियों वाला धान ड्रम सीडर व्हील, कोनो-वीडर, संशोधित हंसिया, मूंगफली स्ट्रिपर, पैरों द्वारा संचालित धान थ्रैशर, धान विनोवर, ट्यूबलर मक्का शेलर, रोटरी मक्का शेलर, टांगने वाला ग्रेन क्लीनर, बैठकर प्रयोग करने वाला मूंगफली डिकोरटिकेटर, फल हार्वेस्टर, कपास स्टॉक पुलर और नारियल डीहस्कर प्रमुख रहेंगे ! साथ ही क्रॉप मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी कार्य किया जा रहा है जिससे फसल के उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकेगी

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