छत्तीसगढ़

स्थानीय “राजीव भवन” में तिलक/आज़ाद की जयंती और बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि सादगी व गरिमा के साथ मनाई गई Tilak/Azad’s birth anniversary and Bisahu Das Mahant’s death anniversary were celebrated with simplicity and dignity in the local “Rajiv Bhawan”.

स्थानीय “राजीव भवन” में तिलक/आज़ाद की जयंती और बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि सादगी व गरिमा के साथ मनाई गई

राजा ध्रुव। जगदलपुर -बस्तर जिला कांग्रेस कमेटी शहर के द्वारा चन्द्रशेखर आज़ाद, बालगंगाधर तिलक की जयंती और बिसाहू दास महंत की पुण्यतिथि स्थानीय राजीव भवन में सादगी व गरिमा के साथ मनाई गई।
सर्वप्रथम जिलाध्यक्ष राजीव शर्मा ने उनके छायाचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांसुमन अर्पित की और उनके जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में हुआ इनका वास्तविक नाम चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी था चन्द्रशेखर आज़ाद का प्रारंभिक जीवन

 

आदिवासी बाहुल क्षेत्र भावरा गांव में व्यतीत हुआ भील बालकों के साथ रहते रहते चन्द्रशेखर आज़ाद ने धनुष बाण चलाना सिख चुके थे इनकी माता जगरानी देवी उन्हें संस्कृति का विद्वान बनाना चाहती थी तथा उन्हें संस्कृति सीखने के लिए काशी विद्यापीठ बनारस भेजा गया दिसम्बर 1921 में जब गांधी जी के द्वारा असहयोग आंदोलन की शुरुआत की गई उस समय मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही आज़ाद ने इस आंदोलन में भाग लिया परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेड के समक्ष उपस्थित किया गया जब मजिस्ट्रेड ने उनसे नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम आज़ाद और पिता का नाम स्वतंत्रता बताया यहीं से चन्द्रशेखर सीताराम तिवारी का नाम चन्द्रशेखर आज़ाद पड़ गया।
महामन्त्री अनवर खान ने कहा कि बालगंगाधर तिलक को भारतीय स्वतंत्रता का जनक कहा जाता है वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे वह एक समाज सुधारक, स्वतन्त्रता सेनानी,राष्ट्रनेता के साथ साथ भारतीय इतिहास,संस्कृति,हिन्दु, धर्म,गणित और भूगोल विज्ञान जैसे विषयों के विद्वान थे बालगंगाधर तिलक लोकमान्य के नाम से भी जाने जाते थे इनका जन्म 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरी के चितपावन ब्रह्मण्ड कुल में हुआ तिलक एक प्रतिभाशाली विद्यार्थी थे और गणित से उन्हें खास लगाव था उनकी शिक्षा दीक्षा पुणे के एंग्लो वर्नाकुलर स्कूल में हुई 16 वर्ष की उम्र में माता पिता का साया सर से उठ चुका था स्नातक होने के बाद एक प्राइवेट स्कूल में गणित पढ़ाया करते थे और उसके बाद पत्रकार बन गए बालगंगाधर तिलक 1890 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़े तथा एक आंदोलनकारी शिक्षक के साथ साथ एक समाज सुधारक भी थे।
आज के कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया जिसमें कांग्रेस के पदाधिकारी व कार्यकर्तागण उपस्थित थे।

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